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विधानसभा सत्र को लेकर भाजपा पर हेमंत सोरेन का तंज, 'आएं और हमें रस्सी-उस्सी से बांध लें'

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच जोरदार बयानबाजी के आसार हैं

विधानसभा सत्र को लेकर भाजपा पर हेमंत सोरेन का तंज, आएं और हमें रस्सी-उस्सी से बांध लें
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रांची। झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच जोरदार बयानबाजी के आसार हैं। इसकी बानगी सत्र के एक दिन पहले ही दोनों पक्षों के नेताओं के बयानों में दिखी।

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि हम विभिन्न मुद्दों पर सरकार को पुरजोर तरीके से घेरेंगे, तो दूसरी तरफ सीएम हेमंत सोरेन ने उनके बयान पर तंज कसते हुए कहा, ''वे हमें घेरना चाहते हैं तो आएं और रस्सी-उस्सी से बांध लें।''

दरअसल, कोई अप्रत्याशित स्थिति नहीं आई तो राज्य की पांचवीं विधानसभा का यह आखिरी सत्र होगा। राज्य में नई विधानसभा के गठन के लिए अगले तीन-चार महीने में चुनाव कराए जाने के आसार हैं। ऐसे में सदन में पक्ष-विपक्ष के विधायक उन सवालों पर आमने-सामने हो सकते हैं, जिन्हें वे चुनावी मुद्दे में तब्दील कर सकें।

राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की रणनीति सरकार को उसकी नाकामियों के साथ-साथ उनके अधूरे वादों से जुड़े सवालों पर घेरने की होगी। पार्टी राज्य के संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफिक चेंज के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के वक्त से ही मुखर है। इस बार यह मुद्दा सदन में भी प्रमुखता के साथ उठेगा।

नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा, "सत्र में हम हेमंत सोरेन सरकार के तानाशाही चेहरे को उजागर करेंगे। इस सरकार ने अपने वादों को भूलकर सहायक पुलिसकर्मियों और पारा शिक्षकों पर लाठियां बरसाई हैं। राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो रही है और भ्रष्टाचार चरम पर है। हम सदन में ऐसे तमाम सवालों के जवाब सरकार से मांगेंगे।"

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि विधानसभा के सत्र में सवाल-जवाब दोनों आते हैं। स्पीकर के साथ सभी दलों की बैठक में सत्र की व्यवस्था और सदन संचालन पर चर्चा हुई है और हम अपनी तरफ से तैयार हैं।

स्पीकर की ओर से आहूत बैठक में भाजपा की ओर से किसी विधायक के शामिल नहीं होने पर जब पत्रकारों ने सीएम से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा, "हमें नहीं पता कि बैठक में उनकी ओर से कोई आया था या नहीं। कुछ लोग दिखे जरूर थे, लेकिन नहीं पता कि वे ‘हां’ पक्ष में हैं या ‘ना’ पक्ष में।"


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