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2022 का वर्ष दिल्ली वालों की सांसो पर रहा भारी, यमुना भी रही मैली : मनोज तिवारी

मनोज तिवारी ने दिल्ली में निरंतर बढ़ रहे प्रदूषण और पर्यावरण की बद से बदतर होती स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा है।

2022 का वर्ष दिल्ली वालों की सांसो पर रहा भारी, यमुना भी रही मैली : मनोज तिवारी
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नई दिल्ली, 28 दिसंबर: उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा लोक सभा सांसद एवं दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली में निरंतर बढ़ रहे प्रदूषण और पर्यावरण की बद से बदतर होती स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा है। मनोज तिवारी ने वर्ष 2022 को दिल्ली के लोगों की सांसों पर भारी बताते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदूषण के सामने बौनी नजर आई, यहां तक कि यमुना की सफाई पर अपने दायित्व का निर्वहन तक भी नहीं कर सकी जिसकी वजह से यमुना की हालत भी बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि जितना पैसा अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने अन्य राज्यों में अपने चेहरे को चमकाने के लिए प्रचार पर खर्च किया उतना पैसा अगर प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए खर्चा होता तो शायद दिल्ली के लोगों की सांसे बोझिल ना होती और प्रदूषण की स्थिति भी दायरे में होती लेकिन बयान बहादुर अरविंद केजरीवाल 2022 के अंत तक भी ऐसा नहीं कर सके।

सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि 2022 का वर्ष बीते 4 साल में सर्वाधिक प्रदूषित रहा और इस वर्ष यमुना की स्थिति भी पहले से बदहाल हुई और ऐसी स्थिति के लिए तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री चुने गए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं क्योंकि बतौर मुख्यमंत्री ओछी राजनीति और दोषारोपण के खेल के अलावा दिल्ली के बेहतरी के लिए उन्होंने एक भी कारगर कदम नहीं उठाया। दिल्ली की 2 करोड़ से अधिक जनसंख्या के लिए 15 हजार बसों की जरूरत थी लेकिन दिल्ली सरकार वहां भी कुछ नहीं कर सकी। पहले से मौजूद अधिकतर गाड़ियां परिचालन की वैधता खो चुकी हैं और कबाड़ घर में खड़ी है।

तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष योजना फेम और फेम-2 के तहत दिल्ली को 300 इलेक्ट्रिक बसें दे भी चुके हैं लेकिन उसके आगे अरविंद केजरीवाल इकाई का एक अंक भी नहीं जोड़ सके। भाजपा सांसद ने आगे कहा कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बद से बदतर होती गई तो वहीं पराली के मसले पर दिल्ली सरकार कोरी राजनीति ही करती नजर आई जिसके कारण धुएं में लोगों का दम घुटता रहा और उन्हें गंभीर बीमारियां होती रहीं।


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