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सात विधायकों की अयोग्यता पर 5 जून को सुनवाई

मणिपुर उच्च न्यायालय सात विधायकों की अयोग्यता मामले की सुनवाई अब पांच जून को करेगा।

सात विधायकों की अयोग्यता पर 5 जून को सुनवाई
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इम्फाल। मणिपुर उच्च न्यायालय सात विधायकों की अयोग्यता मामले की सुनवाई अब पांच जून को करेगा।

न्यायमूर्ति के एच नोबिन ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, वरिष्ठ वकील एच एस पोनम और प्रतिवादी के वकील चित्तरंजन की बातों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई पांच जून को करने के लिए बुधवार को सूचीबद्ध कर दी। न्यायालय का विचार था कि आवेदन के निपटारे के लिए पांच जून की तारीख सूचीबद्ध की जाय ताकि प्रतिवादी के वकीलों को इसपर विचार का पर्याप्त अवसर मिल सके।

न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रतिवादी के लिए पेश होने वाले वकील यदि कोई आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं, तो गुरुवार चार जून तक ऐसा किया जा सकता है।

न्यायालय कांग्रेस विधायकों और पदाधिकारियों की ओर से दायर उस याचिका की सुनवाई कर रहा है जिसमें कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए सात विधायकों को 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर मणिपुर विधानसभा में प्रवेश नहीं होने देने की गुहार लगायी गयी है।

मणिपुर से इकलौती राज्य सभा सीट के लिए 19 जून को चुनाव होना है। कांग्रेस की मांग है कि चुनाव से पूर्व पार्टी के सातों बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई हो।

मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष वाई खेमचंद ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सात विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कांग्रेस के सात विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के विधायकों ने अलग-अलग मामलों को दर्ज कर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की क्योंकि उनकी गतिविधियों ने कथित रूप से संविधान की दसवीं अनुसूची का उल्लंघन किया है।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 21 जनवरी को दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया था। शीर्ष अदालत के आदेश के कारण अध्यक्ष खेमचंद ने पूर्व मंत्री टी एच श्यामकुमार को विधानसभा की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था।

आंद्रो से कांग्रेस विधायक के रूप में जीतने वाले श्यामकुमार ने बी बीरेन सिंह नीत भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली थी। सात विधायकों का मामला अभी भी ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है।

शीर्ष अदालत ने 21 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष को तीन महीने के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। तीन महीने की अवधि पहले ही समाप्त हो गई है और उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को स्वतंत्रता दी है कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वे सीधे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं।

विधायक ओ लुखोई, क्ष बीरेन, पी ब्रोजेन, एन हाओकिप, जिनसुआन्हाउ और वाई सुरचंद्र के खिलाफ याचिका दायर की गई है।


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