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कोरोनिल पर उच्च न्यायालय में सुनवाई

कोरोनिल दवाई को लेकर चारों तरफ से घिरे योग गुरू बाबा रामदेव की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

कोरोनिल पर उच्च न्यायालय में सुनवाई
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नैनीताल। कोरोनिल दवाई को लेकर चारों तरफ से घिरे योग गुरू बाबा रामदेव की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। पंतजलि योगपीठ के दावे के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ में इस मामले में मंगलवार को ऑनलाइन हुई सुनवाई में अधिवक्ता मनी कुमार ने स्वयं पैरवी की और बताया कि अदालत ने मामले को सुनने के बाद केन्द्र सरकार, आयुष मंत्रालय व आईसीएमआर को अधिवक्ताओं के माध्यम से नोटिस जारी किया है और सुनवाई के लिये कल बुधवार की तिथि नियत कर दी है।

अधिवक्ता मनी कुमार ने पंतजिल के दावे को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस मामले में पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड के अलावा केन्द्र सरकार, निदेशक, आयुष मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), उत्तराखंड सरकार व नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेंज (निम्स) जयपुर को पक्षकार बनाया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हरिद्वार स्थित पंतजलि योगपीठ की ओर से विगत 24 जून को कोरोना महामारी की रोकथाम के लिये कोरोनिल नामक दवाई ईजाद करने का दावा किया गया है।

उन्होंने कहा कि पंतजलि आयुर्वेद लि0 की ओर से कोरोना की जिस दवाई को बनाने का दावा किया गया है वह गलत है। दवाई बनाने के लिये उसके द्वारा राज्य सरकार के आयुष विभाग से कोई लाइसेंस नहीं लिया गया है न ही इसके लिये केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय की अनुमति नहीं ली गयी है।

उन्होंने कहा पंतजलि आयुर्वेद की ओर से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भी विश्वास में नहीं लिया गया है। इस दवाई को बनाने के लिये किसी प्रकार का कोई क्लिनिकल ट्रायल भी नहीं किया गया है। जो कि एकदम गलत है। याचिका में कहा गया है कि पंतजलि की ओर से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये लाइसेंस लिया गया था।


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