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निस्तारी व पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण ,सूखने लगे तालाब, आश्रित ग्रामों में स्थिति और बिगड़ी

रायगढ़ ! गर्मी की शुरूआत भी नही हुई है और अभी से इलाके के आधे तालाब सूख गए है। विकासखंड में छोटे बड़े मिलाकर हजारों तालाब है। इनमें से सैकड़ो तालाब सूख गए है।

निस्तारी व पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण ,सूखने लगे तालाब, आश्रित ग्रामों में स्थिति और बिगड़ी
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रायगढ़ ! गर्मी की शुरूआत भी नही हुई है और अभी से इलाके के आधे तालाब सूख गए है। विकासखंड में छोटे बड़े मिलाकर हजारों तालाब है। इनमें से सैकड़ो तालाब सूख गए है। इससे गांवो में निस्तारी की समस्या खड़ी हो गई है। वही कई तालाबों का जलस्तर नीचे चला गया है। हालत यह है कि मार्च में ही सुख गए आधे तालाबों में से एक तिहाई को छोडक़र अधिकांश तालाब महीनेभर में जलविहीन हो सकते हैं। ऐसे में लाखों ग्रामीण और करीब हजार मवेशियों को प्यास बुझाने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। वही ब्लाक के धौंराभांठा, लालधुरर्वा, टिमरलगा, गोड़म, हरदी, रेड़ा, कोतरी, अण्डोला, जशपुर, डड़ाईडीह, उलखर, गन्तुली, जसरा, पासीद, मल्दा, कोसीर, लेन्ध्रा, मचगोढ़ा, पचपेड़ी, सुलोनी, गाताडीह, छुहीपाली, चन्दाई, कटेकोनी, चुरेला, परसदा, परसकोल, कलमी आदि 125 ग्राम पंचायतों के साथ साथ कई आश्रित ग्राम पंचायतों में है। वही इन गांवो में छोटे बड़े तालाब है साथ ही कई ग्राम पंचायतों में नदी नालों का पानी बांधकर उसमें नहाने का कार्य किया जा रहा है तो कई पंचायत स्तर पर खनन किये गये बोरवेलो से ही नहाने एवं घर उपयोग का कार्य किया जा रहा है।
वनांचल क्षेत्रों में पानी की समस्या अभी से
गोमर्डा अभ्यारण्य के वनांचल क्षेत्रों में बसे कई ग्राम पंचायत है, जिसमें तालाब की समस्या के साथ-साथ बोरवेलो ने भी धोखा देना अभी से ही शुरू कर दिया है। जिसमें गंजाईभौना, ठेंगाकोट, भालूपानी, गंधराचुंआ, सराईपाली, रांपागुला, टमटोरा, सहसपानी, पठारीपाली, भडि़सार, भकुर्रा, चन्दली आदि वनांचल क्षेत्र में बसे गांवो में लोगों को तालाब का जलस्तर सूख गया है और साथ ही बोरवेलो के साथ-साथ हैंण्डपम्प से पानी नही निकल पा रही है। जिससे ग्रामीणों द्वारा गांव के साहूकार एवं गौटिया के बोरवेल से पानी लेकर काम चला रहे है।
गहरीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च
विकासखंड के 125 ग्राम पंचायतों में सरपचों द्वारा मनरेगा के तहत कई ग्राम पंचायतों में तालाब गहरीकरण का कार्य कराया जाता है, जो कागजों पर ही सीमित रहती है और इन सरपंच सचिवों और जनप्रतिनिधियों के सांठगांठ से ही उन तालाबों का आधा-अधूरा ही गहरीकरण किया जाता है। अब तक तो मनरेगा के तहत किये गये पूर्व वर्ष सरपंचो द्वारा मनरेगा के तहत पंचायतों में तालाब गहरीकरण कराया गया था, जिससे मजदूरों को अब तक राशि भी नही मिल पायी। जिससे वे गांवों में कुछ कार्य नही होने के चलते ग्रामीणों द्वारा मजबूर होकर पलायन के लिये निकल रहे है। जिससे शासन के करोड़ो रूपये खर्च होने के बावजूद भी इन तालाबों का गहरीकरण नही हो पाता है।


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