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कार्यवाही के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की छुपा-छुपाई, मामला गड़बड़ है!
सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज न करते हुए निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं

ग्वालियर। सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज न करते हुए निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं यह काम ग्वालियर में खुले आम चल रहा है कई मेडिकल स्टोर और लैब संचालक इन डॉक्टर को ठेके पर बिठा लेते हैं खुलेआम चल रहा यह गोरख धंधा स्वास्थ्य विभाग को या तो दिखाई नहीं देता या उनकी जानकारी में होते हुए भी आंखों पर हरी पत्ती बांध रखी है खानापूर्ति के लिए कभी-कभी स्वास्थ्य विभाग कार्यवाही की रसमलाई की जरूर कर देता है ऐसा ही कुछ बुधवार को हुआ।
देशबंधु संवाददाता को सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिली थी की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के आदेश पर जिला छाया अधिकारी डॉ विजय पाठक के नेतृत्व में एक टीम सरकारी अस्पताल मुरार के आसपास के क्षेत्र में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई करने पहुंची है क्योंकि सरकारी अस्पताल के चारों तरफ इन डॉक्टर के क्लीनिक हैं या कुछ डॉक्टर ने मेडिकल स्टोर्स के भीतर ही अपना ठिकाना बना रखा है इस टीम ने मौके पर पहुंचकर क्या कार्रवाई की इसको बताने में देर रात तक स्वास्थ्य विभाग असफल रहा अब इस असफलता को या इस कार्रवाई को क्या नाम दें?
देशबंधु संवाददाता ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आरके राजोरिया को फोन लगाकर इस कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगनी चाही लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया और देर रात इस मामले में जब स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी आईपी निवारिया से बात की तो उन्होंने कहा कि कोई कार्रवाई नहीं हुई है मुझे मीडिया में देने के लिए किसी तरह की सूचना अभी तक नहीं आई है। रस्म अदायगी की कार्रवाई की यह पूरी घटना इस तरह का संक्षेप पैदा कर रही है की टीम गई तो कार्रवाई के लिए लेकिन लीपा पोती करके आ गई।
आपको बता दें कि सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर खुलेआम अस्पताल क्लीनिक खोलकर प्रेक्टिस नहीं कर सकते। वह केवल अपने निजी आवास पर प्रैक्टिस कर सकते हैं और यदि प्रैक्टिस करते भी हैं तो नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस एनपीए नहीं ले सकते। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की छत्रछाया में कई डॉक्टर जो सरकारी अस्पताल में पदस्थ हैं वह खुलेआम निजी प्रैक्टिस करते हैं जगह-जगह उनके बोर्ड बैनर नेम प्लेट भी दिखाई देती हैं। कुछ समय पूर्व मुरैना में पदस्थ एक सरकारी डॉक्टर का तो ऐसा वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह ग्वालियर में दीजिए अस्पताल में बैठकर रील बनाकर अस्पताल का प्रचार कर रहे थे। हालांकि शिकायत के बाद उसे डॉक्टर ने वह वीडियो डिलीट कर दिया था।
तमाम शिकायतों के बाद जैसे तैसे तो स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और वह मुरार क्षेत्र में संचालित निजी प्रैक्टिस सेंटर्स पर पहुंचा। लेकिन वहां पहुंचकर क्या कार्रवाई की? और क्या आने वाले समय में सरकारी डॉक्टर द्वारा की जा रही नियम विरुद्ध निजी प्रैक्टिस पर स्वास्थ्य विभाग अंकुश लग पाएगा? जिस तरह की कार्यशैली स्वास्थ्य विभाग दिखा रहा है उससे तो ऐसी उम्मीद कम ही है।
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