खुशहाली के लिए स्वास्थ्य और पौष्टिक आहार जरूरी: वेंकैया
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बीमारियों से निपटने के लिए पौष्टिक आहार और दैनिक व्यायाम पर बल देते हुए रविवार को कहा कि स्वस्थ रहने के लिए ऋतु चर्या का पालन आवश्यक है।

नयी दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बीमारियों से निपटने के लिए पौष्टिक आहार और दैनिक व्यायाम पर बल देते हुए रविवार को कहा कि स्वस्थ रहने के लिए ऋतु चर्या का पालन आवश्यक है।
श्री नायडू ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर फेसबुक पर लिखे एक लेख में कहा है कि भारत और विश्व के अन्य देश भी कोविड 19 की महामारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का लोगों से प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा अपनी फिटनेस पर ध्यान देने का आह्वान प्रासंगिक और अनिवार्य हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, "हमें उनका दिया हुआ मंत्र " फिटनेस की डोज़, आधा घंटा रोज़ ", अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में अपनाना चाहिए। सही फिटनेस पद्धति को जीवन में नियमित रूप से अपनाने से व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में समग्र खुशहाली आ सकती है।" उन्होंने लिखा है कि अन्य कई सबकों की तरह इस महामारी ने हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व भी सिखाया है। संतुलित आहार के साथ-साथ फिटनेस, हमें रोगों से मुक्त रखने के लिए जरूरी है। समय की मांग है कि हम स्वस्थ्य और फिट रहें। यह न सिर्फ हमें बीमारी से बचायेगा बल्कि हमें अपने काम कर सकने के काबिल भी बनाए रखेगा।
श्री नायडू ने कहा कि आरामतलब जीवनशैली ही देश में बढ़ती हुई असंक्रामक व्याधियों का मूल कारण है। किसी भी प्रकार का व्यायाम जैसे एक ही स्थान पर खड़े हो कर जॉग करना, भागना, तेज़ चलना, एरोबिक्स या शरीर को तानना - खींचना, इनमें से कोई भी फिट रहने के लिए हमारी जीवनचर्या का भाग हो सकता है। हमने विश्व को योग का उपहार दिया है, हमें स्वयं भी योग का लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा , " सदियों से योगाभ्यास और प्राणायाम ने करोड़ों लोगों को एक स्वस्थ और सम्पूर्ण जीवन जीने में मदद की है। मैं आग्रह करूंगा कि वर्तमान चुनौतीपूर्ण समय से निरापद निकलने के लिए, संकल्प के साथ अपनी फिटनेस को पर्याप्त समय दें।
बल्कि मेरा तो सुझाव है कि एक बार हालात सामान्य हो जाएं तो खेलकूद के साथ योगाभ्यास और ध्यान को भी स्कूल, कॉलेजों की रोज़ की दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए। "
उपराष्ट्रपति ने कहा कि रोजमर्रा में फिटनेस को शामिल करने के साथ यह भी जरूरी है कि हमारा आहार पौष्टिक और संतुलित हो। शहरीकरण और आधुनिक जीवन पद्धति ने लोगों की भोजन शैली में भी व्यापक बदलाव किए हैं। समय आ गया है कि हम अपने आहार पर ध्यान दें, भोजन पद्धति को सुधारें। सिर्फ स्वाद के लिए न खाएं, भोजन पोषण के लिए है सिर्फ स्वाद के लिए नहीं। ये ध्यान रखें कि हम जो खाते हैं, हमारी प्रकृति और प्रवृत्ति भी वैसी बन जाती है। अनर्गल खाने की जगह प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन लें। आज जब महामारी ने हमारी जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, हमें अपनी सदियों पुरानी पारंपरिक भोजन पद्धति और आहार का महत्व मालूम पड़ रहा है। पीढ़ियों से हमारे पूर्वज, हर मौसम और क्षेत्र के हिसाब से भोजन में स्वास्थ्यकारी मसालों और अन्य सामग्री का उपयोग करते रहे हैं। इस महामारी का एक लाभ ये रहा है कि लोग घर के बने ताज़े गर्म खाने का महत्व जानने लगे हैं। आवश्यकता है कि एक स्वस्थ जीवन के लिए हम दिनचर्या और ऋतुचर्या का पालन करें।
हमारे पूर्वजों ने जो आहार प्रणाली बनाई थी वह क्षेत्र, जलवायु और ऋतुओं पर आधारित थी। और ध्यान रखें कि उनकी बनाई हुई ये आहार प्रणाली समय की कसौटी पर भी खरी उतरी है।
श्री नायडू ने कहा कि यह भारतीय जीवन पद्धति रही है कि हम मौसम के अनुसार क्षेत्रीय आहार खाएं, इसी सिद्धांत पर भारतीय औषधीय प्रणाली भी आधारित है। ये याद रखें कि गांवों में आहार में मोटे अनाज का अधिक प्रयोग किया जाता है जो पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है।
उन्होंने कहा, " मेरी युवाओं से अपील होगी कि जंक फूड को छोड़ कर पुराने आजमाए घर के ही बने भोजन को अपनाएं। सदैव दादी मां के नुस्खे याद रखें। मैं किसी विशेष व्यंजन की वकालत नहीं कर रहा हूं, मेरा मंतव्य सिर्फ पौष्टिक आहार की महत्ता को रेखांकित करना है।"
उप राष्ट्रपति ने कहा कि वृद्धावस्था में बीमारी और असहायता से बचने के लिए बुजुर्गों ने बड़ा ही कारगर उपाय बताया है। नियमित व्यायाम, योग, अल्प आहार लेना, पौष्टिक आहार लेना, अपने काम खुद करना, सत्कर्म करना, अच्छी पुस्तकें पढ़ना, नित्य प्रार्थना करना, ये सभी एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए सहायक होते हैं। स्वास्थ्य ही सम्पत्ति, सम्पदा है। हर दिन कुछ समय फिटनेस पर लगाएं, इससे हमें निश्चित ही लाभ मिलेगा। हमें जीवन की श्रेष्ठतर पहलुओं का भरपूर आनंद उठाने का पर्याप्त समय मिलेगा।
श्री नायडू ने कहा, " मेरा हर किसी से आग्रह होगा कि अपने स्वास्थ्य, अपनी फिटनेस को प्राथमिकता दें, फिटनेस को रोजमर्रा में अपनाएं।


