हाथरस मामला : क्या अधिकारियों को बचाना चाहती है योगी सरकार !
हाथरस मामले में पुलिस और प्रशासन का जो क्रूर चेहरा सामने आ रहा है वो देख कर लगता है कि यूपी पुलिस पीड़ितों के प्रति बिलकुल संवेदनहीन हो चुकी है ! लेकिन अब जब यूपी पुलिस का चेहरा सबके सामने आ गया है

हाथरस मामले में पुलिस और प्रशासन का जो क्रूर चेहरा सामने आ रहा है वो देख कर लगता है कि यूपी पुलिस पीड़ितों के प्रति बिलकुल संवेदनहीन हो चुकी है ! लेकिन अब जब यूपी पुलिस का चेहरा सबके सामने आ गया है तो उसकी चैतरफा निंदा हो रही है और 5 एसपी समेत 5 पुलिस वालों पर कार्रवाई भी हुई है, जिसपर आईपीएस असोसिएशन नाराज़ है , उसका कहना है कि जब सारे आदेश डीएम की तरफ से आये तो डीएम पर कार्रवाई क्यों नहीं होती ? तो क्या है पूरा मामला - हाथरस मामले के बाद योगी सरकार ,यूपी पुलिस और प्रशासन की चौतरफा निंदा हो रही है , हर तरफ यही चर्चा है कि एक पीड़ित परिवार के प्रति यूपी सरकार और उसका प्रशासन इतना सख्त रवैय्या कैसे अपना सकता है ? एक तरफ तो योगी सरकार कहती है कि हम महिलाओं को सुरक्षा देंगे , हमारी सरकार राम राज्य ले आएगी, वहीं जब एक लड़की के साथ दुष्कर्म कर बर्बरता की सारी हदें पार कर दी जाती हैं तब भी यूपी सरकार उस लड़की के बयानों को गलत साबित करने में लगी रही.. वैसे पीड़ित को अपराधी बताने में यूपी पुलिस तो माहिर है ही लेकिन मामले को दबाने के लिए उसने कानून के साथ साथ मानवता को भी ताक पर रख दिया और उस लड़की का शव उसके परिवार वालों की मर्जी के बगैर जबरन जला दिया , जबकि हिन्दू रिवाज के अनुसार शाम ढलने के बाद दाह संस्कार की अनुमति नहीं है। जब परिवार वालों ने पुलिस से सवाल किया कि उनकी बेटी उन्हें क्यों नहीं सौंपी गयी तो डीएम साहब का जवाब चौकाने वाला था परिवार को वाजिब जवाब देने के बजाय डीएम साहब ने कहा - अगर तुम्हारी बेटी करोना से मर जाती तो भी क्या आप मुआवजे की मांग करते ? लड़की की माँ बार बार गुहार लगती रही कि उसकी बेटी का शव उसे दे दिया जाए , एक बार चेहरा दिखा जाये तो बड़ी संवेदनहीनता के साथ डीएम साहब ने कह दिया कि उसके शरीर के चीथड़े उड़ गए थे , तुम लोग देख भी नहीं पाते। ज़रा सोचिये कि क्या बीती होगी उस माँ पर जब उसने अपनी बेटी के बारे में ये अलफ़ाज़ सुने होंगे ! हालाँकि हाथरस मामले में एसपी समेत 5 पुलिस वालों पर कार्रवाही हुई है लेकिन इस पर आईपीएस असोसिएशन भड़क गया है उसका कहना है कि जब हर आदेश डीएम की तरफ से आया है तो फिर पुलिस वालों पर कार्रवाई क्यों ? सवाल ये भी है कि अब तक डीएम पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई , क्या योगी सरकार अपने अधिकारियों को बचना चाहती है ? क्या वजह थी कि उस पीड़ित परिवार को छावनी बना दिया गया था, क्या वजह थी कि उस परिवार के सदस्यों को किसी मीडियाकर्मी से मिलने जुलने से रोका गया ? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब अब भी नहीं मिला है , न ही ये जवाब मिला कि आखिर किसके कहने पर जबरन शव का दाह संस्कार कर दिया गया ? फिलहाल देखना ये होगा की क्या आईपीएस असोसिएशन की नारजगी के बाद डीएम के खिलाफ कार्रवाही होती है या नहीं !


