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इस्राएल-हमास युद्ध के कारण भारत में बढ़ी हेट स्पीचः विशेषज्ञ

फैक्ट चेकर और फेक न्यूज का अध्ययन करने वाले कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस्राएल-हमास युद्ध को भारत में मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस्राएल-हमास युद्ध के कारण भारत में बढ़ी हेट स्पीचः विशेषज्ञ
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7 अक्टूबर को जब हमास ने इस्राएल पर हमला किया, तो भारत में वॉट्सऐप पर एक लिस्ट वायरल हुई. इस सूची में 17 हिंदुओं के नाम दिए गए और कहा गया कि हमास के हमले में ये लोग घायल हुए या मारे गए. इस पोस्ट पर बहुत उग्र प्रतिक्रियाएं आईं. लेकिन यह लिस्ट झूठी थी. इस हमले में कोई हिंदू घायल नहीं हुआ था.

तथ्यों की जांच करने वाले पेशेवरों का कहना है कि उसके अगले कई हफ्तों तक सोशल मीडिया पर सैकड़ों ऐसी पोस्ट शेयर की गईं, जिनमें इस्राएल और हमास के युद्ध के बारे में भ्रामक जानकारियां थीं. इन संदेशों में चेतावनी दी गई कि अगर हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी अगले साल चुनाव हार गई, तो हिंदुओं का वजूद खतरे में होगा.

झारखंड से काम करने वाले स्वतंत्र फैक्ट-चेकर भरत नायक कहते हैं, "हर स्थानीय या अंतरराष्ट्रीय घटना को यह संदेश देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है कि मुसलमान बुरे हैं और हिंदुओं को उनसे डरने की जरूरत है. अगर कोई घटना नहीं होती, तो पुरानी घटनाओं को फर्जी तस्वीरों और वीडियो के साथ जारी कर दिया जाता है, जिनमें एक ही बात कही जाती हैः हिंदुओं को सुरक्षित रहना है तो बीजेपी को वोट दें.”

हेट स्पीच में उछाल

इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटिजिक डायलॉग नामक थिंकटैंक के मुताबिक 7 अक्टूबर के बाद से दुनियाभर में इस्लाम और यहूदी विरोधी हेट स्पीच में उछाल आया है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ऐसी करोड़ों पोस्ट से भरे हुए हैं.

भारत की 1.4 अरब की आबादी में मुसलमानों का हिस्सा लगभग 14 प्रतिशत है. देश में अगले साल मई से पहले आम चुनाव होने हैं और इसी महीने कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. फैक्ट चेकर और तकनीकी विशेषज्ञ कहते हैं कि इसी कारण हेट स्पीच और फर्जी सूचनाएं बढ़ गई हैं और अक्सर उनमें मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.

कतर स्थित हमाद बिन खलीफा यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर मार्क ओवन कहते हैं, "युद्ध और चुनाव हमेशा ही इस तरह के माहौल को बढ़ावा देते हैं. इस (इस्राएल-हमास) युद्ध का रुख हिंदू-मुस्लिम विवाद को हवा देने का सटीक मौका है. सरकार समर्थित लोग इस युद्ध को बंटवारे का माहौल बनाने और फर्जी सूचनाओं को फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.”

बीजेपी का रुख

भारतीय जनता पार्टी इसे गलत बताती है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन कहते हैं, "बीजेपी और सरकार किसी भी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ नफरत को प्रोत्साहित नहीं करती.”

भारत के प्रधानमंत्री भी इस तरह की बातें कह चुके हैं. जून में अमेरिका यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में उन्होंने कहा था कि भारत में "किसी तरह के भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है.”

लेकिन उनकी पार्टी के बहुत से नेताओं पर अन्य समुदायों के खिलाफ हिंसक, उग्र और नफरत भरे बयान देने के आरोप लगते रहे हैं. हाल ही में पार्टी के एक नेता रमेश बिधूड़ी ने संसद में एक भाषण के दौरान कई मुस्लिम-विरोधी शब्दों का इस्तेमाल किया. उसके बाद उन्हें राजस्थान में चुनाव की जिम्मेदारी दे दी गई.

सोशल मीडिया पर तो ऐसा आम होता है. #coronajihad और #lovejihad जैसे ट्विटर ट्रेंड इस बात की गवाही देते रहे हैं. वॉट्सऐप या फेसबुक पर फर्जी सूचनाओं के कारण कई जगह हिंसा भी हो चुकी है.

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने अपने 2024 के चुनाव में मुसलमान मतदाताओं को लुभाने के लिए अभियान शुरू किया है. पार्टी एक वरिष्ठ मुस्लिम नेता ने रॉयटर्स को बताया कि हिंदू-मुस्लिम हिंसा सिर्फ इसलिए सुर्खियों में रहती है, क्योंकि राजनीतिक विरोधी उनकी पार्टी को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.


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