खरीदी हुई दुल्हनों से वंशबेल बढ़ा रहे हरियाणवी
बैंगलुरू के बाद दूसरे आईटी हब के रूप में प्रसिद्ध गुरूग्राम की 66 वर्षीय भतेरी देवी और हरियाणा के हार्ट के नाम से प्रसिद्ध जींद जिला की 32 वर्षीय नीतू की कहानी एक समान है

चंडीगढ़। बैंगलुरू के बाद दूसरे आईटी हब के रूप में प्रसिद्ध गुरूग्राम की 66 वर्षीय भतेरी देवी और हरियाणा के हार्ट के नाम से प्रसिद्ध जींद जिला की 32 वर्षीय नीतू की कहानी एक समान है। एक को वर्षों पहले संपत्ति विवाद सुलझाने के लिए पश्चिम बंगाल से बीस हजार रुपए में खरीदकर हरियाणा लाया गया था और दूसरी को दो माह पहले एक नौजवान ने एक लाख 60 हजार रुपए में खरीदकर लाया है। अब दोनों का घर हरियाणा है और अंतिम समय तक यहीं रहेंगी।
यह बालीवुड की किसी मसाला फिल्म की कहानी नहीं बल्कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चलाकर बेटियों को कोख में मारने का कलंक धोने में जुटे हरियाणा की एक और कड़वी सच्चाई है। जहां इस समय एक लाख तीस हजार परिवार ऐसे हैं जिनमें दुल्हनें पड़ोसी राज्यों से खरीदकर लाई गई हैं। वर्षों पहले शुरू हुई दुल्हन खरीद की परंपरा आज भी जारी है। बेटियों को नई पहचान दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय संस्था द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार हरियाणा में 1 लाख 30 हजार के करीब ऐसे परिवार हैं जहां दूसरे प्रदेशों से बहुएं लाई गई है। इनमें 90 फीसदी खरीदकर लाई गई हैं।
संस्था द्वारा जुलाई 2017 जुलाई 2019 तक दिल्ली,पंजाब व हरियाणा के कई विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा करवाए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि यह महिलाएं संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा अलग होने के बावजूद करीब डेढ़ लाख परिवारों का घर रोशन किए हुए हैं। दूसरे प्रदेशों से लाई जाने वाली बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए संस्था ने परदेशी बहु-म्हारी शान अभियान शुरू किया है जिससे मोल की बहु, भगोड़ी बहुओं का कलंक इन पर से हटाया जा सके। सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन के संचालक तथा सर्वे का आयोजन करने वाले सुनील जागलान के अनुसार दशकों पहले शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है। इन्हें गावों में मोल की बहुएं कहा जाता है। सर्वे के अनुसार हरियाणा में सबसे पहले गुरुग्राम व रेवाड़ी क्षेत्र में इस परंपरा की शुरूआत हुई।
इसके बाद रोहतक, जींद, सोनीपत, हिसार, कैथल, झज्जर, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र में मोल की लाई गई बहुओं का प्रतिशत दक्षिण हरियाणा के बाद आता है। शुरूवाती दौर में बंगाल से बहुएं आती थी लेकिन अब बिहार, उतर प्रदेश, नोर्थ ईस्ट के असम, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, कर्नाटक, उतराखंड से भी बहुएं हरियाणा में लाई जाने लगी हैं। मेवात में भी पिछले एक दशक में मोल की बहु का प्रतिशत अब बढ़ रहा है।
बताया गया है कि जाट, यादव, ब्राह्मण समुदाय में यह संख्या ज्यादा पाई जाती है। इस सर्वे में लेडी इरविन कालेज दिल्ली, हिन्दू कालेज नार्थ दिल्ली, हरियाणा के कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविधालय तथा पंजाब के कुछ विश्वविद्यालयों के करीब 125 छात्र-छात्राएं शामिल रहे। इन विधार्थियों ने बाकायदा प्रोजेक्ट बनाकर इस पर काम किया। इसके अलावा संस्था द्वारा सोशल मिडिया पर मिशन पॉसिबल अभियान चलाकर इन बहुओं की जानकारी जुटाई गई। हरियाणा के हर जिले से यह आंकड़े जुटाए गए है।


