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Haryana News: जिंदा इंसान को खाते रहे चूहे, दम तोड़ गए रिश्ते और इंसानियत
इस त्रासदी की जड़ें कोरोना काल में छिपी हैं। कोरोना के समय पहले पत्नी, फिर बेटा और बेटी-तीनों एक-एक कर दुनिया छोड़ गए। पूरा परिवार खत्म हो गया और हरि किशन अकेले रह गए।

अंबाला : Haryana News: हरियाणा के अंबाला जिले के एक खंडहरनुमा मकान में मंगलवार को जो दृश्य सामने आया, उसने इंसानियत को शर्मसार करने वाला रहा। 65 वर्षीय हरि किशन करीब छह महीने से अपने ही घर के एक कमरे में कैद थे। वह जिंदा थे, सांस ले रहे थे, लेकिन हालात ऐसे थे मानो कब के दुनिया से विदा हो चुके हों। अंधेरा, गंदगी, बदबू और चूहे ही उनके जीवन के साथी बन चुके थे। हालत इतनी भयावह थी कि शरीर पर कीड़े चल रहे थे। चूहों ने उनके हाथों और पैरों की उंगलियां कुतर दी थीं। शरीर ठंडा पड़ चुका था। बोलने की ताकत लगभग खत्म हो चुकी थी और आंखों में सिर्फ डर और असहायता बची थी।
एंबुलेंस से जिला नागरिक अस्पताल पहुंचाया
सोमवार रात हितेष नाम के एक युवक को जब बुजुर्ग की हालत का अंदाजा हुआ तो उसने खिचड़ी बनाकर अपने हाथों से खिलाया और स्वयंसेवी संगठन वंदे मातरम दल को सूचना दी। मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे पहुंची वंदे मातरम दल की टीम के सदस्यों की बुजुर्ग की हालत देख आंखें भर आईं। उनको दो कंबलों में लपेटा और एंबुलेंस से जिला नागरिक अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में हरि किशन की हालत नाजुक बनी हुई है। उन्हें ग्लूकोज चढ़ाया गया है, आक्सीजन पर रखा गया है। ईसीजी सामान्य है, लेकिन शरीर पूरी तरह कमजोर हो चुका है। डाक्टरों के मुताबिक सांसें कभी भी टूट सकती हैं।
कोरोना में पूरा परिवार खत्म हो गया
इस त्रासदी की जड़ें कोरोना काल में छिपी हैं। कोरोना के समय पहले पत्नी, फिर बेटा और बेटी-तीनों एक-एक कर दुनिया छोड़ गए। पूरा परिवार खत्म हो गया और हरि किशन अकेले रह गए। शुरुआत में वह कभी-कभार घर से बाहर निकलते थे। बैंक जाकर पेंशन ले आते थे, लेकिन अपनों को खोने का दर्द इतना गहरा था कि उन्होंने धीरे-धीरे खुद को दुनिया से काट लिया। करीब छह महीनों से उन्होंने घर का दरवाजा तक नहीं खोला। कभी-कभार धूप में बैठते और फिर उसी अंधेरे कमरे में लौट जाते।
लोगों ने रोटी रखना भी बंद किया
समय के साथ हालात और भयावह होते चले गए। जिस कमरे में वह रहते थे, वहीं मल-मूत्र पड़ा रहता था। कपड़े इतने गंदे और सड़े थे कि उन्हें छूना भी मुश्किल था। शायद महीनों से उन्होंने नहाना तो दूर, साफ पानी का स्पर्श तक नहीं किया था। भूख से मर न जाएं, इसलिए कुछ पड़ोसी तरस खाकर दरवाजे के बाहर रोटी रख जाते थे। वही रोटी उनकी जिंदगी की आखिरी डोर बनी रही, लेकिन जब घर से तेज बदबू आने लगी और संक्रमण का डर सताने लगा, तो लोगों ने वह रोटी रखना भी बंद कर दिया।
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