हरियाणा के करनाल में पराली प्रबंधन की मिसाल, सब्सिडी से बढ़ी उपज और घटा प्रदूषण
हरियाणा के करनाल जिले में किसान अब सरकार की कृषि यंत्र सब्सिडी योजना का भरपूर लाभ उठाते हुए पराली प्रबंधन में मिसाल पेश कर रहे हैं

बक्शी लाल ने दिखाया रास्ता: पराली जलाए बिना उपज भी बढ़ी, पर्यावरण भी बचा
- पराली नहीं जलाते, खाद बनाते हैं: करनाल के किसानों की नई पहल
- सरकारी सब्सिडी से बदली तस्वीर: करनाल में पराली प्रबंधन बना उदाहरण
- पराली प्रबंधन में हरियाणा के किसान आगे, तकनीक और सब्सिडी से मिली राहत
करनाल। हरियाणा के करनाल जिले में किसान अब सरकार की कृषि यंत्र सब्सिडी योजना का भरपूर लाभ उठाते हुए पराली प्रबंधन में मिसाल पेश कर रहे हैं। सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की नीति किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, जिससे न केवल खेतों की उत्पादकता बढ़ी है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण में भी अहम योगदान मिल रहा है।
करनाल के ताखाना गांव के किसान बक्शी लाल ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि पहले धान की कटाई के बाद पराली निपटान सबसे बड़ी समस्या थी। पहले मजबूरी में पराली जलानी पड़ती थी, जिससे प्रदूषण भी फैलता था और खेत की उर्वरक क्षमता भी घटती थी। अब किसान एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) और सुपरसीडर जैसी मशीनों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे पराली को खेत में ही मिलाया जा रहा है। इससे खेत की मिट्टी उपजाऊ बनती है। यह डीएपी की एक बोरी के बजाए यह 10 बोरी का काम करता है।
उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रों की सरकारी सब्सिडी ने किसानों का आर्थिक बोझ काफी कम कर दिया है। अब हम धान कटाई के बाद पराली को खेत में ही दबा देते हैं, इससे मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ते हैं और भूमि अधिक उपजाऊ बनती है। अब तकनीक की मदद से वही पराली मिट्टी के लिए खाद का काम कर रही है।
बक्शी लाल ने बताया कि कुछ किसान बेलर मशीन से पराली की गांठें बनाकर उसे वाणिज्यिक रूप से बेचकर अतिरिक्त आय भी कमा रहे हैं।
बक्शी लाल ने किसानों से अपील की कि पराली को जलाने से बचें, क्योंकि इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और मिट्टी के उपयोगी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरता घटती है।
उन्होंने कहा, “अगर किसान एसएमएस और सुपरसीडर मशीनों का इस्तेमाल करें तो न केवल उनका खेत उपजाऊ होगा बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।”
कृषि विभाग के अनुसार, करनाल सहित हरियाणा के कई जिलों में पराली प्रबंधन के लिए मशीन सब्सिडी योजना से किसानों में जागरूकता और रुचि तेजी से बढ़ी है, जिससे इस बार पराली जलाने के मामलों में भी काफी कमी दर्ज की गई है।


