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हरियाणा विस. चुनाव: मतगणना के रूझान त्रिशंकु स्थिति की ओर, भाजपा 36 सीटों पर आगे

हरियाणा विधानसभा की 90 सीटाें के लिये गत 21 अक्तूबर को हुये चुनावों की आज हो रही मतगणना में अब तक 89 सीटों के रूझान प्राप्त हुये हैं

हरियाणा विस. चुनाव: मतगणना के रूझान त्रिशंकु स्थिति की ओर, भाजपा 36 सीटों पर आगे
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चंडीगढ़ । हरियाणा विधानसभा की 90 सीटाें के लिये गत 21 अक्तूबर को हुये चुनावों की आज हो रही मतगणना में अब तक 89 सीटों के रूझान प्राप्त हुये हैं जिनमें त्रिशंकु स्थिति और किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त होता नहीं दिखाई दे रहा है।

अब तक प्राप्त रूझानों के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल और कैबिनेट मंत्री अनिल विज अम्बाला में आगे चल रहे हैं। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, अन्य कैबिनेट मंत्री मतगणना में अपने प्रतिद्वंदियों से पीछे चल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला कैथल में आगे चल रहे हैं।

चुनाव कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) 36 और विपक्षी कांग्रेस 35 सीटों पर आगे चल रही हैं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) 10, इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) दो, बहुजन समाज पार्टी एक और अन्य सात सीटों पर आगे है। कुलमिला कर इस समय त्रिशंकु स्थिति बनती नजर आ रही है और राज्य में सरकार के गठन में जजपा और अन्यों की भूमिका भी अहम हो सकती है।

रूझानों पर अगर गौर करें तो इनमें कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से राज्य की राजनीति में वापसी की है। उसे 18 सीटों का फायदा होते दिख रहा है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं तथा हरियााणा जनहित कांग्रेस(हजकां) का बाद में इसमें विलय हो जाने पर इसके दो और विधायकों के साथ विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 17 हो गई थी। वर्ष 2014 के लाेकसभा और विधानसभा चुनावों तथा 2019 के लोकसभा चुनावाें में पार्टी की बुरी तरह से फजीहत होने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने राज्य में हाल ही में नेतृत्व परिवर्तन कर अशोक तंवर की जगह कमान राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के हाथाें में दी। पार्टी ने राज्य में पार्टी विधायक दल के नेता को भी बदलते हुये किरण चौधरी की जगह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपी। पार्टी हाईकमान के इन फैसलों का असर विधानसभा चुनाव की मतगणना के रूझानों में साफ देखा जा रहा है। हालांकि गांधी परिवार ने इस चुनाव में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और इनमें से केवल राहुल गांधी ने ही कुछेक जनसभाओं को सम्बोधित किया। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा इस चुनाव से दूर ही रहीं। सोनिया गांधी का हरियाणा के लिये केवल एक ही दौरा तय किया गया था लेकिन वह भी अंतिम समय में रद्द कर दिया गया।

सूत्रों के अनुसार श्रीमती गांधी ने श्री हुड्डा को राज्य में सरकार बनाने को लेकर स्वयं फैसला लेने के लिये अधिकृत कर दिया है। श्री हुड्डा अब से कुछ देर बाद अपने रोहतक चुनाव कार्यालय में मीडिया को सम्बोधित करने वाले हैं। जिसमें वह कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। इस बीच पार्टी के जीत रहे सभी विधायकों को सम्भवत: टूट की आशंका को देखते हुये दिल्ली बुलाया गया है। बताया जाता है कि कांग्रेस नेता जजपा के सम्पर्क में भी हैं और वह इसके नेता दुष्यंत चौटाला को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर भी समर्थन दे सकते हैं।

जजपा ने भी 10 सीटों पर बढ़त हासिल कर राज्य में तीसरे बड़े राजनीतिक दल के रूप में दस्तक दी है और ऐसे में अंतिम चुनाव परिणाम आने और त्रिशंकु स्थिति होने पर इसकी किंगमेकर बनाने और सत्ता की चाबी उसके हाथ में जाती दिखाई दे रही है। रूझानों को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये श्री चौटाला ने डिया से बातचीत में कहा है कि पार्टी की कार्यकारिणी बैठक होगी तथा इसमें ही आगे की रणनीति को लेकर फैसला लिया जाएगा। इस सवाल पर कि जजपा भाजपा या कांग्रेस को समर्थन दे सकती है तो उन्होंने कहा कि यह फैसला भी कार्यकारिणी की बैठक में होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें बच्चों की पार्टी बताते थे उन्हें अब तक के रूझानों से सबक मिल ही गया होगा। सूत्रों के अनुसार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल जजपा से सम्पर्क साधे हुये हैं लेकिन श्री चौटाला ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी इन दोनों दलों के साथ कोई बात हुई है।

चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान इस समय इनेलो को देखा जा रहा है जो केवल दो सीटों पर आगे है। इनेलो ने वर्ष 2014 के चुनावों में 19 सीटें हासिल की थीं और मुख्य विपक्षी दल होने के नाते इसके वरिष्ठ नेता अभय चौटाला को विपक्ष के नेता का दर्जा मिला था। लेकिन निवर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने तक यह दोफाड़ हो गई और जजपा का जन्म हुआ। इनेलो में बिखराव के चलते इसके अधिकतर विधायक और नेता चुनावों से पहले ही इसे अदविदा कह कर भाजपा, कांग्रेस और जजपा का दामन चुके थे।

भाजपा ने इस चुनाव में 75 सीट पार का नारा दिया था जो फिलहाल पिटता नजर आ रहा है। रूझानों से मोदी तिलिस्म भी टूटता दिखाई दे रहा है। रूझानों में पार्टी साधारण बहुमत के 46 सीटों के आंकड़े से दस सीट पीछे है। निवर्तमान विधानसभा में इसके 47 विधायक हैं और इसे 11 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। भाजपा ने हाल ही में राज्य में हुये लोकसभा चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करते हुये सभी दस सीटों पर कब्जा कर लिया था। राज्य में प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सरीखे नेताओं ने प्रचार किया। इस बीच, पार्टी हाईकमान ने रूझानों को देखते हुये आगे रणनीति तय करने के लिये मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली बुलाया है।

राज्य में गत 21 अक्तूबर को चुनाव हुये थे तथा इनमें 68.31 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। चुनाव मैदान में 1169 उम्मीदवार थे।


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