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हरियाणा चुनाव : मुख्यमंत्री पद एक दावेदार कई, भाजपा कैसे पार करेगी चुनौती?

चुनावी राज्य हरियाणा में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां पर सियासत का रंग गाढ़ा होता जा रहा है

हरियाणा चुनाव : मुख्यमंत्री पद एक दावेदार कई, भाजपा कैसे पार करेगी चुनौती?
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चंडीगढ़। चुनावी राज्य हरियाणा में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां पर सियासत का रंग गाढ़ा होता जा रहा है। भाजपा शासित प्रदेश का नेतृत्व अभी नायब सिंह सैनी के हाथों में है, लेकिन वो भी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बचे कार्यकाल के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री बनाए गए थे। ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के ऐलान के बावजूद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अगर चुनाव जीतती है तो सूबे का मुखिया बदल सकता है।

हालांकि, सैनी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे तो कौन बनेगा? ये भी राह आसान नहीं है, 90 विधानसभा वाले हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी के अंदर कई दिग्गज नेता मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश कर चुके हैं। आम तौर पर भारतीय जनता पार्टी के अंदर कम ही दिखता है कि नेता स्वयं को मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित करते हों, लेकिन हरियाणा में मामला पूरा उल्टा है। यहां पर कई ऐसे दिग्गज भाजपा नेता हैं, जो खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार मानते हैं।

2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेजेपी का गठबंधन था। प्रदेश का मुखिया वरिष्ठ नेता मनोहर लाल खट्टर को बनाया गया। लेकिन, हाल ही में संपन्न हुए 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने जेजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया और मनोहर लाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। सूबे के नए सीएम उनके करीबी माने जाने वाले तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को बनाया।

अगर सैनी के राजनीतिक सफर की बात करें तो, 1996 से पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नायब सिंह सैनी का राजनीतिक करियर 2014 से चमका, जब वो पहली बार अंबाला की नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। 2016 में उनको श्रम और रोजगार मंत्री बनाया गया। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने कुरुक्षेत्र से जीत हासिल की। मुख्यमंत्री बनने से पहले वो प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा चुके थे।

सैनी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने के बाद कुछ नेताओं में नाराजगी दिखी, जो मनोहर लाल के बाद खुद को मुख्यमंत्री बनते देखना चाह रहे थे। इसमें सबसे ऊपर नाम अनिल विज का रहा। अनिल विज हरियाणा भाजपा में एक बड़ा नाम है, जिन्होंने उस समय नाराजगी जाहिर की थी। उस समय ऐसी खबरें चल रही थी, नाराज अनिल विज पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। मनोहर लाल के साथ कई राउंड की बैठक चलने के बाद अनिल विज भाजपा में बने रहे। लेकिन विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही, उन्होंने अपनी दबी इच्छा को फिर से एक बार जगजाहिर कर दिया।

अंबाला कैंट विधानसभा सीट से छह बार से विधायक और प्रदेश के पूर्व मंत्री 71 वर्षीय अनिल विज कई मंचों से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अब तक पार्टी से कुछ नहीं मांगा लेकिन अपनी वरिष्ठता की वजह से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश करते हैं। अगर वो मुख्यमंत्री बनते हैं तो प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदल देंगे।

बात सिर्फ अनिल विज तक ही नहीं सीमित है। सूबे के सीएम के लिए गुरुग्राम लोकसभा सीट से सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता इंद्रजीत सिंह ने भी हाल ही में अपनी इच्छा जाहिर की। उन्होंने हाल ही में एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में खुद की प्रदेश सरकार में खुद की उपेक्षा होने की बात कही थी और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, जनता जानती है कि सरकार बनवाने के बावजूद उनको प्रतिनिधित्व नहीं मिलता और उनकी लगातार उपेक्षा हुई है।

हालांकि हरियाणा में भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री के नाम की कवायद तब शुरू होगी, जब वो सत्ता में वापसी करेगी। जो, पार्टी के लिए पहले जैसा आसान नहीं है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस से भाजपा को कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। वहीं, प्रदेश में आम आदमी पार्टी की एंट्री ने चुनाव को बड़ा त्रिकोणीय रूप दे दिया है और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ 'आप' नेता मनीष सिसोदिया को हाल में मिली जमानत ने पार्टी में नया जोश भर दिया है।


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