Top
Begin typing your search above and press return to search.

हरितालिका पर्व धूमधाम से मनाया गया

नगर सहित अंचल में रविवार को हरितालिका पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व पर सभी सौभाग्यवती स्त्रियां व कुंवारी कन्याएं निर्जला व्रत रखकर भवगान शिव- माता पार्वती की पूजा अर्चना की

हरितालिका पर्व धूमधाम से मनाया गया
X

नवापारा-राजिम। नगर सहित अंचल में रविवार को हरितालिका पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व पर सभी सौभाग्यवती स्त्रियां व कुंवारी कन्याएं निर्जला व्रत रखकर भवगान शिव- माता पार्वती की पूजा अर्चना की। इस पर्व को प्रकृति से जोड़कर भी देखा जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं सावन के बाद आई नई 16 तरह की पत्तियों को शिव जी को चढ़ा कर समृद्धि व सौभाग्य का वर मांगती है।

श्रीमती देविका नाग एवं चन्द्रिका अवसरिया ने बताया कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने इस व्रत को किया था। जिसके फलस्वरूप ही भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए। हरियाली तीज के दिन ही भगवान शंकर ने देवी पार्वती को पति के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था।

पार्वती के कहने पर भोलेनाथ ने आशीर्वाद दिया था, जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेंगे उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी। इस दिन निर्जला व्रत कर शिव और माता पार्वती जी की विधिपूर्वक पूजन करने का विधान है।

मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए थे। अंतत: मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108 वें जन्म में भगवान शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती है। हाथों में नई चूडियां, मेहंदी और पैरों में आलता लगाती है, जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है और नए वस्त्र धारणकर मां पार्वती की पूजा अर्चना कर विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाती हैं। छत्तीसगढ़ की परंपरा अनुसार इन पकवानों में ठेठरी, खुरमी, खीर, पुड़ी आदि प्रमुख हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it