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हरित गणेश मुहिम: 12 सौ लोगों ने बनाई मिट्टी से मूर्ति

एप्को द्वारा आयोजित किये जा रहे ग्रीन गणेश अभियान में आज सुबह नेहरू नगर के शासकीय नवीन कन्या हाई स्कूल में लगभग 500 विद्यार्थियों और 30 शिक्षकों ने मिट्टी से भाँति-भाँति की आकर्षक गणेश प्रतिमाएँ बनायी

हरित गणेश मुहिम: 12 सौ लोगों ने बनाई मिट्टी से मूर्ति
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सतना। एप्को द्वारा आयोजित किये जा रहे ग्रीन गणेश अभियान में आज सुबह नेहरू नगर के शासकीय नवीन कन्या हाई स्कूल में लगभग 500 विद्यार्थियों और 30 शिक्षकों ने मिट्टी से भाँति-भाँति की आकर्षक गणेश प्रतिमाएँ बनायीं। मूर्तिकार श्री कमलेश वर्मा ने गेरू, रामरज, हल्दी आदि प्राकृतिक रंगों से मूर्ति रंगने की कला भी सिखाई।

एप्को टीम ने शाम को कोलार रोड के मंदाकिनी मैदान में मूर्ति प्रशिक्षण शिविर लगाया। इसमें 700 से अधिक लोगों ने काफी उत्साह से भाग लिया। सभी प्रतिभागी अपनी बनायी गणेश मूर्तियों को प्रफुल्लतापूर्वक घर ले गये।

दोनों प्रशिक्षण शिविरों में लगभग 20 प्रशिक्षकों ने लोगों और छात्र-छात्राओं को मूर्ति प्रशिक्षण दिया। बच्चों और बड़ों, दोनों में ही अपनी मूर्ति स्वयं बनाने का उत्साह देखते बनता था। मंदाकिनी मैदान में विकास एवं लक्ष्मी सिरोठिया, श्रीमती उषा सिंह और श्रीमती सुनीता सक्सेना ने कहा कि एप्को द्वारा किया जा रहा प्रयास अति सराहनीय है। अब आने वाले सालों में हम खुद अपने घरों में मिट्टी की प्रतिमा का निर्माण कर घर में ही विसर्जन करेंगे।

हमें पता नहीं था पीओपी की प्रतिमा के विसर्जन से पर्यावरण को इतनी हानि होती है। एप्को टीम कल 23 अगस्त को प्रात: 11 से 2 बजे तक ओल्ड केम्पियन स्कूल अरेरा कॉलोनी, शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैरागढ़ और अपरान्ह 3 से 6 बजे तक पिपलानी के गणेश मंदिर में मूर्ति प्रशिक्षण देगी।

'मिट्टी गोबर और गणेश' पर कार्यशाला

भोपाल,देशबन्धु। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आयोजित ईको फे्रंडली गणेश निर्माण पर आधारित 'मिट्टी गोबर और गणेश' नामक कलाकार कार्यशाला का आज 22 अगस्त, को संपन्न किया गया। इस कार्यशाला में देशभर से आए कलाकारों ने कागज की लुग्दी, मिट्टी, गोबर, धान आदि विविध माध्यमों से भोपाल स्थित विभिन्न स्कूलों के लगभग 400 छात्र-छात्राओं को इको फ्रेंडली गणेश निर्माण करना सिखाया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के समन्वयक डॉ सूर्य कुमार पांडे ने बताया कि भारत में नदियों में स्नान की पंरपरा सदियों से रही हैं। स्नान के उपरांत नदी के किनारे की चिकनी मिटटी से गणेश की प्रतिमा बनाकर वहीं पूजा किया करते थे और वहीं विसर्जित करते थे। सजृन से विसर्जन तक सब कुछ प्रकृति के साथ था यानि गणेश सदा ही प्रकृति मित्र (ईको फ्रेंडली) रहें हैं। इस अवसर पर कलाकारों को संग्रहालय के कार्यालय अध्यक्ष, डी.एस. राव ने प्रमाणपत्र देकर सम्मनित किया। ं


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