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हरिद्वार : महायोगी पायलट बाबा के निधन के बाद शोक की लहर, हजारों विदेशी भक्त पहुंच रहे हैं हरिद्वार

हरिद्वार श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का उपचार के दौरान मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इससे जूना अखाड़े समेत पूरे संत समाज और अखाड़े में शोक की लहर दौड़ गई है

हरिद्वार : महायोगी पायलट बाबा के निधन के बाद शोक की लहर, हजारों विदेशी भक्त पहुंच रहे हैं हरिद्वार
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हरिद्वार। हरिद्वार श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का मंगलवार को उपचार के दौरान मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इससे जूना अखाड़े समेत पूरे संत समाज और अखाड़े में शोक की लहर दौड़ गई है। इस दौरान हजारों विदेशी भक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैंं। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के निर्देश पर पूरे प्रदेश में स्थित जूना अखाड़े की सभी शाखाओं, आश्रमों और प्रमुख पीठों पर शोक सभाएं और शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े की ओर से तीन दिन का शोक घोषित किया गया है।

महंत बलवीर गिरी महाराज का कहना है कि गुरुवार को उन्हें समाधि दी जाएगी। स्वामी जी के विदेशी भक्त कई देशों से हरिद्वार पहुंच रहे हैं। जब भी कुंभ मेला लगता था, चाहे शाही स्नान हो या पेशवाई, हजारों विदेशी भक्त महाराज जी के साथ चलते थे, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र हुआ करता था।

जूना अखाड़े के संरक्षक श्री महंत हरि गिरि महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह हमारे धर्म के लिए बहुत बड़ी क्षति है। हमारे गुरु भाइयों और शिष्यों के लिए यह बहुत ही दुखद स्थिति है। वह हमारे मार्गदर्शक और वटवृक्ष थे। जब गुरुदेव जीवित थे, तो हमेशा यह शक्ति मिलती थी कि गुरुदेव हैं। गुरुदेव ने सनातन धर्म और राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने 1974 में विधिवत दीक्षा लेने के बाद जूना अखाड़े में प्रवेश किया और अपनी संन्यास यात्रा शुरू की। संन्यासी बनने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में पायलट के पद पर कार्यरत थे और उन्होंने भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर के रूप में 1962, 1965, 1971 के युद्धों में भाग लिया था।

आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरि आह्वान अखाड़े ने हमारे आध्यात्म में बहुत कम ऐसे योगी पैदा किए हैं जो स्वयं भगवान शिव के अंश हैं। उन्होंने राष्ट्रहित में चीन से युद्ध भी लड़ा था। उन्होंने जल, हिमालय और स्थल में तीन-तीन महीने बिताए हैं। ऐसा अकल्पनीय महापुरुष बहुत कम ही अवतरित होता है। उन्होंने कहा कि मैं कैलाशवासियों से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें पुनः अपने चरणों में स्थान दें और पुनः अपना अंश बनाकर धरती पर भेजें ताकि सनातन का पुनः प्रचार-प्रसार और संरक्षण हो सके।

बता दें कि पायलट बाबा के निधन पर जूना अखाड़ा हरिद्वार में शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय सचिव महंत महेश पुरी, सचिव महंत शैलेन्द्र गिरि, महंत पूर्ण गिरि, महंत सुरेशानंद सरस्वती, कोठारी महंत महाकाल गिरि, महंत रतन गिरि, महंत हीरा भारती, महंत गौतम गिरि, महंत आकाश पुरी, महंत धीरेंद्र पुरी आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और भैरव अखाड़ा घाट पर मां गंगा को पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।


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