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हार्डवेयर व्यवसायी के बाद मुखिया और अब सांसद बने रामप्रीत मंडल

रामप्रीत मंडल पहले मुखिया, फिर प्रखंड प्रमुख और इस बार के लोकसभा चुनाव में झंझारपुर से पहली बार सांसद बने

हार्डवेयर व्यवसायी के बाद मुखिया और अब सांसद बने रामप्रीत मंडल
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पटना। बिहार से रोजी-रोटी की तलाश में नगालैंड पहुंचे श्री रामप्रीत मंडल ने कल-पुर्जों (हार्डवेयर) के छोटे-मोटे व्यवसाय से आजीविका तो जुटाई लेकिन भाग्य उन्हें वापस गांव खींच लाया, जहां से वह मुखिया, फिर प्रखंड प्रमुख और इस बार के लोकसभा चुनाव में झंझारपुर से पहली बार सांसद बने।

बिहार में मधुबनी जिले के खुटौना में धकन मंडल के घर वर्ष 1956 में जन्मे श्री रामप्रीत मंडल की घर आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण शिक्षा-दीक्षा बहुत अधिक नहीं हो सकी। उन्होंने वर्ष 1971 में किशन उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके आगे की पढ़ाई वह नहीं कर सके।

इसके बाद रोजी-रोटी की तलाश में वह नगालैंड चले गये। शुरुआत में आजीविका के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम किये। धीरे-धीरे अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने वहां हार्डवेयर का कारोबार शुरू किया। उनका यह कारोबार चलने भी लगा लेकिन वह रम नहीं सके। घर-परिवार की याद उन्हें वापस गांव दुर्गीपट्टी खींच लाई।

अच्छे स्वभाव और समाज के लिए कुछ अच्छा करने की लगन के कारण ग्रामीणों ने उन्हें अपना मुखिया चुनकर सम्मान दिया। धीरे-धीरे उनकी स्थानीय राजनीति का दायरा बढ़ा और वह खुटौना प्रखंड के प्रमुख और जिला प्रमुख संघ के अध्यक्ष भी बने। हालांकि उन्होंने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा।

सतरहवें लोकसभा चुनाव (2019) में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने श्री मंडल को झंझारपुर संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया, जहां उनका मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उम्मीदवार गुलाब यादव से हुआ।

मंडल ने 601597 मत हासिल कर एकतरफा मुकाबले में श्री यादव को 322429 मतों के भारी अंतर से पराजित कर पहली बार सांसद बनने में कामयाब हुये।


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