अनशन के लिए हार्दिक को अब तक अनुमति नहीं, घर पर करेंगे उपवास
गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल के कल से यहां प्रस्तावित आमरण अनशन को अब तक अनुमति नहीं मिली है

अहमदाबाद। गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल के कल से यहां प्रस्तावित आमरण अनशन को अब तक अनुमति नहीं मिली है।
दोस्तों कल मेरी ज़मानत रद हो सकती हैं।उपवास आंदोलन को रोकने के लिए मेरी ज़मानत रद करने के लिए गुजरात सरकार ने कोर्ट में आवेदन किया हैं।लेकिन हम चुप नहीं बेठेंगे,जेल में भी किसान और आरक्षण के लिए अनिश्चितकालिन उपवास करेंगे।
— Hardik Patel (@HardikPatel_) August 23, 2018
हम लड़ेंगे और जीतेंगे इंक़लाब ज़िंदाबाद
उधर, हार्दिक ने आरोप लगाया है कि सरकार के इशारे पर उनके समर्थन के लिए गुजरात के अलग अलग हिस्सों से अहमदाबाद आने का प्रयास कर रहे उनके समर्थकों को पकड़ा जा रहा है।
इस बीच, हार्दिक के खिलाफ यहां रामोल इलाके में भाजपा के पार्षद परेश पटेल के घर पर हुए हमले से जुड़े मामले की सुनवाई आज जज की अनुपस्थिति के कारण टल गयी। इस प्रकरण में राज्य सरकार ने उनके आचरण के चलते उनकी जमानत रद्द करने की अर्जी की है।
हार्दिक ने इस मामले में जमानत की शर्त में सुधार का आग्रह किया है ताकि उन्हें मुकदमे की सुनवाई के दौरान रामोल इलाके में प्रवेश मिल सके। यहां सत्र अदालत में अब इस मामले में 27 अगस्त को सुनवाई होने की संभावना है। हार्दिक ने आशंका जतायी थी कि सरकार किसानों की ऋण माफी, पाटीदार आरक्षण आदि की मांगों पर उनके अनशन कार्यक्रम को रोकने के लिए उनका जमानत रद्द करा सकती है पर ऐसा होने पर वह जेल में भी अनशन जारी रखेंगे।
उपवास आंदोलन को रोकने के लिए अहमदाबाद में धारा-१४४ लागू हैं लेकिन कल अहमदाबाद में भाजपा ने बिना इजाज़त रेली निकालकर क़ानून व्यवस्था की धजिया उड़ाईं हैं।देखते है पुलिस क्या करती हैं।क़ानून सिर्फ़ आंदोलनकारी के लिए है भाजपा के लिए नहीं,अब भी चुप है कुछ दलाल,चलो फिर मेरा भारत महान
— Hardik Patel (@HardikPatel_) August 23, 2018
वह यहां एसजी हाईवे के निकट स्थित अपने आवास पर कल से अनशन करेंगे। उन्होंने पहले शहर के पाटीदार बहुल नारोल इलाके में इसके लिए स्थान की मांग की थी और बाद में राजधानी गांधीनगर के सत्याग्रह छावनी मैदान की मांग की थी पर प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी। हार्दिक की समर्थक माने जाने वाली विपक्षी कांग्रेस पार्टी के 21 विधायकों ने भी सरकार से उनके कार्यक्रम को मंजूरी देने की मांग की थी।
उन्होंने सरकार के अहमदाबाद में निषेधाज्ञा लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया और कहा कि ऐसा उनके आंदोलन को विफल करने के प्रयास के तहत किया गया है।
इस बीच हार्दिक की पूर्व सहयोगी और अब सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल रेशमा पटेल ने आज दावा किया कि हार्दिक किसी तरह अपना नाम बनाये रखने के लिए यह शिगूफा छोड़ रहे हैं। उनके पास मुद्दों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।


