भाजपा के नेतृत्व वाली 'आचार समिति' द्वारा महुआ मोइत्रा का उत्पीड़न शर्मनाक
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस मामले में कोई संवैधानिक कार्यवाही शुरू करेंगे या नहीं, क्योंकि इसमें कई लोगों की हिस्सेदारी है

- अरुण श्रीवास्तव
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस मामले में कोई संवैधानिक कार्यवाही शुरू करेंगे या नहीं, क्योंकि इसमें कई लोगों की हिस्सेदारी है। लेकिन एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें दंडित करने और सदन से बाहर निकालने के लिए अपनी पूरी ताकत लगायेगी। भाजपा का तंत्र किसी को भी अडानी और मोदी के खिलाफ बोलने को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
भारतीय संसदीय कामकाज के इतिहास में पहले कभी किसी विधायी पैनल के अध्यक्ष को चरित्र हनन और स्त्रीद्वेषी विकृति की इतनी तीखी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ा, जितना कि लोकसभा आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर को करना पड़ रहा है। टीएमसी सदस्य महुआ मोइत्रा द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये आरोप पर संदेह करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है, जिसे समिति में विपक्षी सदस्यों द्वारा भी सार्वजनिक रूप से दोहराया गया था, कि पैनल के अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर ने संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक व्यवसायी हीरानंदानी से धन तथा अन्य फायदा लेने के आरोप से सम्बंधित प्रश्न पूछने के बदले बड़े ही दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से असम्बद्ध सवाल किये। उनके इस व्यवहार से नाराज विपक्षी दल के सदस्य विरोध में बैठक हॉल से बाहर चले गये।
मोइत्रा पर व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर सवाल पूछने का आरोप लगा है। यह भी आरोप लगाया गया कि उसने दुबई स्थित व्यवसायी के साथ अपने लॉगिन क्रेडेंशियल साझा किये। मोइत्रा के खिलाफ शिकायत झारखंड के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने की थी।
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा पारिस्थितिकी तंत्र और उसका मीडिया सेल मोइत्रा को लोकसभा से हटाने और उनके राजनीतिक कॅरियर को समाप्त करने के लिए एक अच्छी तरह से तैयार किये गये जाल के साथ तैयार है। उनके लिए उनका चरित्र हनन और एक सस्ती और लालची महिला के रूप में उनकी छवि खराब करना सबसे अच्छा उपाय था।
खुद मोइत्रा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बताया है, उनसे पूछा गया कि 'उन्होंने देर रात किससे, किस सॉफ्टवेयर पर और कितनी देर तक बात की। वे जानना चाहते थे कि जिन लोगों से उन्होंने बात की उनकी पत्नियों को इसके बारे में पता था या नहीं।'
सोनकर ने बाद में कहा कि समिति को मामले की व्यापक जांच करने का काम सौंपा गया था और सहयोग करने के बजाय, मोइत्रा विपक्षी सदस्यों के साथ क्रोधित हो गयीं और उन्होंने 'आपत्तिजनक शब्दों' का इस्तेमाल किया और उनके खिलाफ अनैतिक दावे किये। लेकिन उनका स्पष्टीकरण उन्हें मोइत्रा के उन आरोपों से बरी नहीं करता कि उन्होंने जानबूझकर उनसे अनैतिक और अपमानजनक सवाल पूछे।
मामला तब तूल पकड़ा जब समिति अध्यक्ष ने व्यक्तिगत सवाल पूछना शुरू कर दिया जैसे मोइत्रा ने रात में हीरानंदानी को कितनी बार फोन किया, वह दुबई और मुंबई में किस होटल में रुकी थीं। पैनल के एक विपक्षी सांसद ने कहा, 'हमने आपत्ति जताई और मोइत्रा ने भी।'
मोइत्रा की पीड़ा और आहत भावनाएं गुरुवार को बैठक कक्ष से बाहर आने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे उनके पत्र में परिलक्षित हुईं, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सुनवाई के दौरान आचार समिति के अध्यक्ष द्वारा उन्हें 'कहावती वस्त्रहरण' का शिकार होना पड़ा। मोइत्रा ने यह भी लिखा- 'समिति को खुद को आचार समिति के अलावा किसी अन्य नाम से नामित करना चाहिए क्योंकि इसमें कोई नैतिकता नहीं बची है। विषय से संबंधित प्रश्न पूछने के बजाय, अध्यक्ष ने दुर्भावनापूर्ण और स्पष्ट रूप से अपमानजनक बयान देकर पूर्वकल्पित पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया।' जिस तरह से मुझसे सवाल किया जा रहा था, उसे सुनकर उपस्थित 11 सदस्यों में से 5 सदस्य बाहर चले गये और उनके शर्मनाक आचरण के विरोध में कार्यवाही का बहिष्कार किया।'
यह स्पष्ट नहीं है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस मामले में कोई संवैधानिक कार्यवाही शुरू करेंगे या नहीं, क्योंकि इसमें कई लोगों की हिस्सेदारी है। लेकिन एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें दंडित करने और सदन से बाहर निकालने के लिए अपनी पूरी ताकत लगायेगी। भाजपा का तंत्र किसी को भी अडानी और मोदी के खिलाफ बोलने को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
लोकसभा की वेबसाइट का लॉगइन आईडी और पासवर्ड शेयर करने के मामले में मोइत्रा ने अपने पत्र में लिखा- 'इन्हें शेयर नहीं करने के नियम सांसदों को कभी क्यों नहीं बताये गये और यदि थे तो हर एक सांसद इस आईडी और लॉगिन को कई लोगों के साथ क्यों साझा कर रहा है?' उसने लिखा कि मैंने रिकॉर्ड पर बार-बार विरोध किया कि अध्यक्ष एक औरत के रूप में मेरी गरिमा पर दाग लगाने वाले व्यक्तिगत प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं।
मोइत्रा ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है - लोकसभा आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने उन्हें वकील जय अनंत देहाद्राई और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये 'कैश-फॉर-क्वेरी' आरोपों में जिरह करने की अनुमति क्यों नहीं दी। उन्होंने सोनकर को पहले ही बताया था-'शिकायतकर्ता देहाद्राई ने अपनी लिखित शिकायत में अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं दिया है, और न ही वह अपनी मौखिक सुनवाई में कोई सबूत दे सका है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, मैं देहाद्राई से जिरह करने के अपने अधिकार का प्रयोग करना चाहती हूं।'
मोइत्रा ने कहा, 'यह एक एथिक्स कमेटी है जो स्क्रिप्ट पढ़ रही है और हर तरह के गंदे सवाल पूछ रही है।' बसपा सदस्य दानिश अली ने कहा, 'हम ऐसी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे क्योंकि वे अनैतिक सवाल पूछ रहे हैं। द्रौपदी का चीरहरण कर रहे हैं।'
14 सदस्यीय नैतिक पैनल का हिस्सा बनने वाले कम से कम तीन विपक्षी सांसद, कांग्रेस के एन उत्तम कुमार रेड्डी, बसपा के दानिश अली और राजद के गिरिधारीलाल यादव, समिति पर एक महिला सांसद से अनैतिक व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए बैठक से बाहर चले गये। रेड्डी ने आरोप लगाया, 'उनके सवाल पूर्वाग्रहपूर्ण, पक्षपातपूर्ण और अशोभनीय थे। हम दिन की शुरुआत से ही उसे यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि वह इस तरह की पूछताछ न करे, लेकिन उसने हमारी बात नहीं सुनी।'
जाहिर है कि भाजपा जो चाहती थी उसका सख्ती से पालन किया गया है। इस धारणा को बल मिलता है कि इन अपवित्र घटनाओं के ठीक बाद, दुबे ने अपनी टिप्पणी दी कि मोइत्रा को जाना होगा। उसे कोई नहीं रोक सकता। इस बीच, प्रदर्शनकारी सांसदों ने यह जानने की कोशिश की है कि एक शिकायतकर्ता, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की एक 'गोपनीय' रिपोर्ट को कैसे हासिल करने में कामयाब रहे, जिसमें कहा गया था कि मोइत्रा के संसदीय लॉगिन को दुबई से 47 बार एक्सेस किया गया था और यहां तक कि इसे डाला भी गया था। यह सार्वजनिक डोमेन में तब आया जब वह रिपोर्ट केवल एक दिन बाद समिति के सदस्यों को उपलब्ध कराई गई थी। विपक्षी दल भी उत्सुकता से उस कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं जो टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी बैठक के बाद लेने वाली हैं, जैसा कि पार्टी नेता डेरेक ओ 'ब्रायन ने खुलासा किया है।


