27 अधिकारियों पर लटकी तलवार
बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए बसपा शषासन काल में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भू-उपयोग बदलने में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के 27 अधिकारियों की गर्दन फंसी

ग्रेटर नोएडा। बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए बसपा शषासन काल में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भू-उपयोग बदलने में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के 27 अधिकारियों की गर्दन फंसी है। इसमें महाप्रबंधक से लेकर प्रबंधक स्तर के अधिकारी शामिल है। शषासन ने इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है।
साथ ही आईएएस व पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ शासन स्तर पर जांच कराई जा रही है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बसपा शासन काल में 2008 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 2500 एकड़ जमीन का भू-उपयोग मास्टर प्लान में बदल दिया था। यह जमीन मास्टर प्लान में पहले औद्योगिक के लिए आरक्षित थी।
प्राधिकरण ने पहले बिल्डरों को सेक्टर-ओमीक्रान में बिल्डर ग्रुप हाउसिंग के लिए योजना निकाली थी। ओमीक्रान सेक्टर में बिल्डरों ने भूखंड लेने में रूचि नहीं दिखाई। ओमीक्रान सेक्टर शहर अलग छोर पर था। ग्रेटर नोएडा वेस्ट गाजियाबाद व नोएडा से जुड़ा हुआ था। इसलिए ग्रेटर नोएडा बिल्डर के लिए बेहतर लोकेशन लगा। बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्राधिकरण ने मास्टर प्लान में भू-उपयोग बदल दिया।
औद्योगिक से उसे बिल्डर ग्रुप हाउसिंग में तब्दील कर बिल्डरों को भूखंड आबंटित कर दिया। भू-उपयोग बदलने का प्रस्ताव बोर्ड से पास कराय गया और उससे शासन व एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से मंजूरी नहीं ली गई। 2010 में गजराज बनाम सरकार मामले में जमीन अधिग्रहण को लेकर सुनवाई पर हाईकोर्ट ने किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने व भू-उपयोग की जांच कराने का आदेश दिया था।
बसपा व सपा सरकार में जांच दबा रहा।
भाजपा सरकार बनने पर जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने यह मामला विधानसभा में उठाया। इसके बाद शासन ने इसकी जांच कराई। जांच के बाद संयुक्त सचिव सीता राम यादव ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ पत्र भेजकर भू-उपयोग बदलने में शामिल 27 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। प्राधिकरण के एसीईओ बीके त्रिपाठी ने बताया कि महाप्रबंधक से लेकर प्रबंधक स्तर के 27 आधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया जा रहा है।


