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मोटापे का शिकार बनती आधी दुनिया

12 साल के भीतर दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोटापे की चपेट में होगी. बच्चों पर इसकी सबसे ज्यादा चोट पड़ेगी.

मोटापे का शिकार बनती आधी दुनिया
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वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मौजूदा हालात जारी रहे तो 2035 तक दुनिया भर में चार अरब से ज्यादा लोग मोटापे से जूझेंगे. फेडरेशन का 2023 का एटलस दिखा रहा है कि अगले 12 वर्षों में दुनिया की 51 फीसदी आबादी मोटापे का शिकार होगी. मोटापे की चपेट में आने वाले लोगों में बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा होगी.

भारत, अमेरिका और चीन को होगा मोटापे से खरबों का नुकसान

डाटा का विश्लेषण करते हुए वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की प्रेसिडेंट लुइजे बावर ने कहा कि "साफ चेतावनी" सामने है और नीति निर्माताओं को बुरे से बदतर होते हालत रोकने के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाने होंगे. इस बारे में एक बयान में बावर ने कहा, "ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है."

सरकारों का फौरन एक्शन में आना जरूरी

रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के मुकाबले 2035 तक मोटापे का शिकार बच्चों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. यानी 20.8 करोड़ लड़के और 17.5 करोड़ लड़कियों को भारी भरकम शरीर से जूझने पर मजबूर होना पड़ेगा. बावर कहती हैं, "दुनिया भर की सरकारों और नीति निर्माताओं को युवा पीढ़ी के स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक बोझ को टालने के लिए हर संभव कोशिश करनी होगी."

इंसानों पर एक साथ मोटापे और कुपोषण दोनों की मार

बढ़ता मोटापा यानि बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां. फेडरेशन का दावा है कि मोटापे की वजह से 2035 तक दुनिया को 4000 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. यह विश्व जीडीपी की तीन फीसदी रकम है. रिपोर्ट के लेखकों के मुताबिक बढ़ते मोटापे के लिए वह लोगों को जिम्मेदार ठहराने के बजाए, सामाजिक, पर्यावरणीय और बायोलॉजिकल फैक्टरों पर ध्यान देने का आग्रह कर रहे हैं.

क्या है ओवरवेट और मोटापा

रिपोर्ट तैयार करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को आधार बनाया गया है. बॉडी मास इंडेक्स के तहत किसी व्यक्ति की लंबाई और उसके वजन का अनुपात निकाला जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस में बीएमआई के 25 से ज्यादा स्कोर को ओवरवेट और 30 से ज्यादा स्कोर को मोटापे की श्रेणी में रखा गया है.

2020 में दुनिया की 38 फीसदी आबादी ओवरवेट और मोटापे की जद में थी. रिपोर्ट के मुताबिक अगले 12 साल में एशिया और अफ्रीका के कम और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में मोटापा सबसे ज्यादा बढ़ेगा. फेडरेशन अपना डाटा मार्च के दूसरे हफ्ते में यूनएन पॉलिसीमेकर्स और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के साथ साझा करेगी.


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