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हलाला वास्तव में महिलाओं के साथ अत्याचार एवं उनका शारीरिक शोषण है: रिजवी

राम मंदिर निर्माण के पक्ष में बयान देकर सुर्खियों में आए उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी ने हलाला को महिलाओं के साथ अत्याचार और शोषण का जरिया बताते हुए कहा है कि कुछ

हलाला वास्तव में महिलाओं के साथ अत्याचार एवं उनका शारीरिक शोषण है: रिजवी
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लखनऊ। राम मंदिर निर्माण के पक्ष में बयान देकर सुर्खियों में आए उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी ने हलाला को महिलाओं के साथ अत्याचार और शोषण का जरिया बताते हुए कहा है कि कुछ मौलाना हलाला का दुरूपयोग करते हैं।

रिजवी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि हलाला वास्तव में महिलाओं के साथ अत्याचार एवं उनका शारीरिक शोषण है। यह भारतीय दण्ड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि इस्लामिक सिद्धान्तों के अनुसार वह निकाह ही वैध निकाह नहीं है जो तलाक़ की नियत से किया जाये।

उन्होंने कहा कि कोई मुस्लिम व्यक्ति यह सोच कर निकाह करे कि वह इस महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के पश्चात इसको तलाक दे देंगे। निकाह की इस तरह की प्रक्रिया को इस्लामिक प्रक्रिया नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुरान मजीद में औरतों का बहुत सम्मान है। औरतों के इस तरह के शोषण की इजाज़त इस्लाम नहीं देता है।

रिजवी ने आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड द्वारा उच्चतम न्यायालय में हलाले के विरूद्ध दाखिल की गयी एसएलपी ज़िम्मेदारी न निभाए जाने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में फैली हलाला जैसी कुरीति के कारण वर्षों से कुछ तलाकशुदा औरतों का शारीरिक शोषण किया जा रहा है। हलाला इसलिए लिखी गयी है कि लोग जल्दी तलाक़ न दें।

रिजवी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कुछ मौलाना इसका दुरूपयोग करते हैं। यह वास्तव में महिलाओं के साथ अत्याचार एवं शारीरिक शोषण है। औरतों की इस तरह के शोषण की इजाज़त इस्लाम नहीं देता है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से इस्लाम की आड़ में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर संज्ञान लेने की गुहार की है


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