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एचएएल ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर इसरो को बधाई दी

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बनाने की महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी

एचएएल ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर इसरो को बधाई दी
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नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बनाने की महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी।

सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी के सीएमडी सी.बी. अनंतकृष्णन ने कहा कि एचएएल को चंद्रयान-3 में लगाए गए रोवर और लैंडर के लिए धातु और समग्र संरचनाओं, सभी प्रणोदक टैंकों और बस संरचना में योगदान देकर इसरो के साथ जुड़ने पर एचएएल को गर्व है।

उन्होंने कहा कि यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति एचएएल की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सीएमडी ने कहा, "एचएएल इस प्रतिष्ठित मिशन से जुड़ने का अवसर देने के लिए इसरो को धन्यवाद देता है।"

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपलब्धि की परिकल्पना भविष्य के लैंडिंग मिशनों और ग्रहों की खोज में अन्य तकनीकी प्रगति के अग्रदूत के रूप में की गई है।

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत, 250 करोड़ रुपये (लॉन्च वाहन की लागत को छोड़कर), 2014 की साइंस-फिक्शन फिल्म 'इंटरस्टेलर' के बजट से काफी कम है।

भारत के पहले प्रयास चंद्रयान-2 ने भी मिशन के अधिकांश उद्देश्यों को पूरा करते हुए 98 प्रतिशत सफलता हासिल की थी, हालांकि लैंडर मॉड्यूल के अंतिम चरण के प्रदर्शन में कुछ अप्रत्याशित बदलावों के कारण चंद्रयान-2 के टचडाउन में गड़बड़ी हो गई थी।

पिछले अनुभव के आधार पर इसरो ने चंद्रयान-3 में दक्षिणी ध्रुव पर सटीक लैंडिंग के लिए सभी प्रकार की आपात स्थितियों के लिए योजना बनाई।

धनखड़ ने कहा कि विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग ने साबित कर दिया है कि ''21वीं सदी भारत की है।''


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