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ग्वालियर व्यापार मेला अव्यवस्थाओं का रेला, दुकान आवंटन में बड़ा झोल!

श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला जो एक समय ग्वालियर ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश की शान हुआ करता था वह साल 10 साल व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ता जा रहा है

ग्वालियर व्यापार मेला अव्यवस्थाओं का रेला, दुकान आवंटन में बड़ा झोल!
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ग्वालियर। श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला जो एक समय ग्वालियर ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश की शान हुआ करता था वह साल 10 साल व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ता जा रहा है और हालात यह है कि इसकी हालत सुधारने की चिंता करने वाला कोई नजर नहीं आ रहा अभी वर्ष 2024 का मेला सज चुका है इस बार यह मेला 2 महीने के लिए आयोजित हुआ है मेले का उद्घाटन अमूमन 20 से 25 दिसंबर को हो जाता है जो इस बार 4 जनवरी को हुआ मेले का उद्घाटन करने के लिए प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव स्वयं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ यहां उपस्थित रहे।

आपको बता दें कि 4 जनवरी को मेला आधा अधूरा लगा था और मेले के जिम्मेदार अधिकारी इस बात से डर रहे थे की कोई माननीय कहीं मिले का भ्रमण ना कर ले और उनकी पोल न खुल जाए कि मिल भी आधा अधूरा लगा हुआ है हम आपको बता दें कि मेला में दुकान देर से लगने के पीछे भी एक बड़ा खेल है और वह खेल है दुकानों की कालाबाजारी का जो मेला प्राधिकरण के संरक्षण में लगातार फल फूल रहा है और वास्तविक दुकानदारों के शोषण का बड़ा कारण है।
इस मामले में मेला सचिव निरंजन लाल श्रीवास्तव से जब देशबंधु संवाददाता ने उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो तो सचिव महोदय ने बताया कि वह मेले में आवंटित दुकानों की सूची उपलब्ध कराने में अभी असमर्थ है इसमें कुछ दिन लग जाएंगे जब उनसे कहा गया कि मेले में दुकानों के कालाबाजारी की शिकायत है तो उन्होंने कहा कि उनके पास तक कोई शिकायत नहीं आई है यदि शिकायत आती है तो कार्यवाही की जाएगी जब उनसे पूछा गया कि क्या मेला प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं है कि वह समय-समय पर औचक निरीक्षण कर दुकानों के आवंटन की वस्तु स्थिति की जानकारी लें तो उन्होंने स्वीकार किया कि जब दुकान पर जाते हैं तो वहां बैठे व्यक्ति स्वयं को नौकर बता देता है और मालिक किसी और को होना बता देता है अब सवाल यह उठता है कि इतनी हकीकत सामने आने के बाद भी सच्चे महोदय को कि शिकायत का इंतजार है उनकी इस तरह की शैली साफ बता रही है की दुकानों की बंदर बांट और उसके बाद कालाबाजारी मेला प्राधिकरण की मिली भगत से ही हो रही है क्योंकि जहां मिले का आयोजन होता है वही चंद कदमों की दूरी पर ही मेला प्राधिकरण का कार्यालय है और मेला प्राधिकरण के कर्मचारी व अधिकारी सभी जगह पर दिन में घूमते नजर आते हैं इसलिए यह खुलेआम चल रही कालाबाजारी उनके नजर में ना हो यह संभव नहीं है सवाल यह भी उठना है कि यदि दुकानों के आवंटन में कोई अनियमितता नहीं है और किसी तरह की दुकानों की कालाबाजारी नहीं है तो सचिव निरंजन लाल श्रीवास्तव दुकानों के आवंटन की सूची उपलब्ध क्यों नहीं कर रहे हैं सूची उपलब्ध कराने में उन्हें किस बात का डर है?
देशबंधु संवाददाता ने विभिन्न सूत्रों से जानकारी जुटाई तो पता चला कि तमाम सारी ऐसी दुकाने हैं जो आवंटित किसी के नाम है और उनका संचालन कोई और कर रहा है एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह अपनी दुकान डेढ़ लाख रुपए में दूसरे को देने को तैयार है ऐसे ही तमाम लोग मेला में दुकान अपने नाम पर आवंटित कर दूसरों को देखकर चांदी काट रहे हैं एक और अनियमकता यह देखने में आई है कि दुकान किसी सेक्टर में किसी व्यवसाय के लिए आवंटित है और उसे दुकान में काम कुछ और हो रहा है यह सब अव्यवस्थाएं मेला प्राधिकरण की नाक के नीचे खुले आम चल रही हैं
ग्वालियर के विकास के मसीहा कैलाश वासी श्रीमंत माधवराव सिंधिया के नाम पर चल रहे इस ग्वालियर व्यापार मेला की यहां के अधिकारी दुर्गति कर रहे। इस मेला की छवि को यह गैर जिम्मेदार अधिकारी धूमल कर रहे साल दर्शन मेले की साख गिरती जा रही है और इस बात का संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है।


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