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अव्यवस्थाओं का ग्वालियर मेला, मेला प्राधिकरण और व्यापारी आमने-सामने

ग्वालियर व्यापार मेला में व्यवस्थाओं का आलम यह है कि अब तो ख्याल मेला व्यापार संघ और मेला प्राधिकरण एक दूसरे के सामने हैं मेले में पहली अव्यवस्थाओं को लेकर मेला व्यापारी संघ ने मेला प्राधिकरण कार्यालय पर घंटे तक प्रदर्शन किया आंदोलन बढ़ता देख प्राधिकरण के अधिकारियों ने व्यापारियों को अव्यवस्थाओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया तब जाकर धरना समाप्त हुआ

अव्यवस्थाओं का ग्वालियर मेला, मेला प्राधिकरण और व्यापारी आमने-सामने
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ग्वालियर। ग्वालियर व्यापार मेला में व्यवस्थाओं का आलम यह है कि अब तो ख्याल मेला व्यापार संघ और मेला प्राधिकरण एक दूसरे के सामने हैं मेले में पहली अव्यवस्थाओं को लेकर मेला व्यापारी संघ ने मेला प्राधिकरण कार्यालय पर घंटे तक प्रदर्शन किया आंदोलन बढ़ता देख प्राधिकरण के अधिकारियों ने व्यापारियों को अव्यवस्थाओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया तब जाकर धरना समाप्त हुआ

मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भटकारिया ने बताया कि मेले में सड़कों का संधारण क्षतिग्रस्त दुकानों बाउंड्री वॉल के निर्माण मेला के विभिन्न सेक्टरों में पानी व सीवर लाइन को दुरुस्त करने का अभाव है इससे व्यापारियों और सैलानियों को परेशानी होती है इससे निपटने के लिए मिला प्राधिकरण को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 10 करोड रुपए का विशेष आर्थिक पैकेज मिलना चाहिए।

अब सवाल यह उठता है कि अचानक से यह व्यापारी मेला प्राधिकरण के विरोध में मेले में फैली अव्यवस्थाओं के खिलाफ धरना देने क्यों बैठे आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिन पहले एक महिला के झूले से गिर जाने की वजह से झूठों की सुरक्षा का मामला गरम आया था इसके अलावा अभी हाल ही में कई दुकानदारों ने दुकानों के बाहर तक सामान रखा हुआ था जिस पर मेला प्राधिकरण ने दुकानदारों पर जुर्माना ठोका था मेला प्राधिकरण के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मिला प्राधिकरण की शक्ति के चलते आजकल मिला व्यापारी परेशान है और आगे कार्रवाई रोकने के लिए दबाव बनाने के लिए वह यह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

मेला प्राधिकरण या मेल व्यापारी दोनों के निहित स्वार्थ जो भी हूं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की मेले में अव्यवस्थाओं की पराकाष्ठा है ना तो पानी और सफाई की व्यवस्था है और ना ही नियम अनुसार मेले का संचालन किया जा रहा है अब मेला प्राधिकरण अवस्थाओं का ठीकरा मेला व्यापारियों के सर फोड़ता है और व्यापारी व्यवस्थाओं का जिम्मेदार मेला प्राधिकरण को बताते हैं। वैसे एक कहावत है कि ताली दोनों हाथों से बजती है तो ऐसा लगता है की ना तो व्यापारी और ना ही मेला प्राधिकरण चाहता है कि नियम अनुसार मेले का संचालन हो।


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