गुरुग्राम : 7 साल के मासूम की हत्या मामले में आदेश सुरक्षित
गुरुग्राम के एक निजी स्कूल में सात साल के मासूम की हत्या मामले में तीन मुद्दों को लेकर पुनर्विचार पर सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुग्राम सत्र न्यायालय ने 21 मई तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया

गुरुग्राम। गुरुग्राम के एक निजी स्कूल में सात साल के मासूम की हत्या मामले में तीन मुद्दों को लेकर पुनर्विचार पर सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुग्राम सत्र न्यायालय ने 21 मई तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह जानकारी अभियोजन पक्ष के वकील ने दी। अधिवक्ता ने आईएएनएस को बताया, "केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा कि पूरक आरोपपत्र दाखिल करने में एजेंसी को डेढ़ महीने का और वक्त लगेगा। पूरक आरोपपत्र दाखिल करने और मामले में जांच शुरू करने पर चार जुलाई को फैसला होगा।"
पहला मसला यह था कि क्या आरोपी के खिलाफ जांच वयस्क के रूप में की जाए या नाबालिग के रूप में। दूसरा मामले में गिरफ्तार उसी स्कूल की 11वीं कक्षा के छात्र की फिंगर प्रिंट से जुड़ा था, जिस स्कूल में आठ सितंबर को शौचालय में गला रेतकर मासूम की हत्या कर दी गई थी।
तीसरा मसला यह था कि बचाव पक्ष के वकील का आरोप है कि सीबीआई ने लड़के को पूछताछ के लिए आठ घंटे तक हिरासत में रखा और समय सीमा को लेकर कोई परामर्श नहीं किया था।
सीबीआई ने पांच फरवरी को माममे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जशबीर सिंह कुंडू के पास आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें नाबालिग आरोपी के साथ कथित हत्याकांड में वयस्क की तरह व्यवहार करने की बात कही गई है।
किशोर न्याय बोर्ड ने पिछले साल 20 दिसंबर को कहा कि किशोर के साथ वयस्क जैसा व्यवहार किया जाएगा और निर्देश दिया कि उसे गुरुग्राम सत्र न्यायालय में पेश किया जाए।
इससे पहले अदालत ने मीडिया को नाबालिग आरोपी के नाम का प्रयोग करने से मना कर दिया और इसके बदले में काल्पनिक नाम का उपयोग करने को कहा।
अदालत की ओर से पीड़ित को प्रिंस नाम दिया गया, जबकि आरोपी को भोलू और भोंडसी स्थित स्कूल के नाम के बदले सिर्फ विद्यालय का प्रयोग करने को कहा।


