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गुजरात दंगा: नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है.

गुजरात दंगा: नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
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गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्गा सोसायटी में हुए दंगे में मारे गए 68 लोगों में से एक, कांग्रेस के पू्र्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने याचिका दायर की थी. एक विशेष जांच दल ने मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी.

जाफरी ने यह अर्जी 2018 में दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानवलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने 9 दिसंबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसमें दंगों के मामलों की जांच कर रही एसआईटी की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी, जिसमें मोदी समेत 63 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी.

2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्गा हाउसिंग सोसायटी में मारे गए एहसान जाफरी की पत्नी एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं जिसमें गोधरा में ट्रेन जलाए जाने के बाद दंगों को भड़काने के लिए राज्य के अधिकारियों द्वारा किसी "बड़ी साजिश" से इनकार किया गया था.

2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जकिया की शिकायत खारिज कर दी थी. इससे पहले जकिया जाफरी ने निचली अदालत में अर्जी देकर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. निचली अदालत, हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

क्लीन चिट के खिलाफ थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा और जकिया जाफरी की याचिका को शुक्रवार 24 जून को खारिज कर दिया. कोर्ट ने याचिका को बेबुनियाद करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि जकिया जाफरी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हम एसआईटी की रिपोर्ट मंजूर करने और विरोध याचिका को खारिज करने के मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखते हैं. इस अपील में मेरिट के अभाव है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है."

दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने 8 फरवरी 2012 को नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में वरिष्ठ अधिकारियों को भी क्लीन चिट दी थी.

गुलबर्गा सोसायटी मामले को गुजरात दंगों के दौरान सबसे भीषण बताया जाता है. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की पॉश कॉलोनी में दंगाई भीड़ ने गुलबर्गा सोसायटी पर हमला कर दिया, हिंसा के दौरान 69 लोगों की मौत हो गई थी. इस हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले अधिकांश लोग मुसलमान थे.

मार्च 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को गुलबर्गा सोसायटी दंगे सहित नौ मामलों की फिर से जांच करने का आदेश दिया था. अदालत ने मामलों की नए सिरे से जांच करने के लिए सीबीआई के पूर्व निदेशक डॉ. आरके राघवन की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था. मार्च 2010 में मोदी से नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई थी. साल 2010 में एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है.

गुजरात में हुए दंगों के दौरान एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे.


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