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गुजरात हाई कोर्ट ने की निजी स्कूलों के फीस नियंत्रण कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

 एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए इस साल मार्च में बनाये गये कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को आज खारिज कर दिया

गुजरात हाई कोर्ट ने की निजी स्कूलों के फीस नियंत्रण कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
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अहमदाबाद। एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए इस साल मार्च में बनाये गये कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को आज खारिज करते हुए इसे वर्ष 2018 के शिक्षण सत्र से लागू करने के आदेश दिये।

गुजरात स्व वित्त पोषित स्कूल (फीस विनियमन) कानून 2017 को सरकार ने इसी साल मार्च में पारित किया था। इसके तहत प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के लिए सालाना फीस की अधिकतम सीमा क्रमश: 15 हजार, 25 हजार और 27 हजार रूपये तय की गयी है। इसका उल्लंघन करने पर पांच से दस लाख तक दंड और बाद में मान्यता रद्द करने जैसे प्रावधान कानून में हैं। इसके तहत किसी तरह की शिकायत आदि के निपटारे के लिए राज्य को चार क्षेत्रों अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और वडोदरा में विभाजित कर फीस नियमन समितियां बनायी गयी हैं।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति वी एम पंचोली की अदालत ने इसे चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक करार देने की मांग करने वाली निजी स्कूलों की याचिकाओं और अन्य संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर गत 31 अगस्त को निर्णय सुरक्षित रखा था। अदालत ने आज अपना फैसला सुनाते हुए इन याचिकाओं को खारिज कर दिया और कानून तथा इसके तहत बनी नियमन समितियों को संवैधानिक करार दिया। अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को छह सप्ताह में अपना पक्ष सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखने को कहा है। स्कूलों को अपनी आय और अन्य जानकारी भी देने को कहा गया है।

उधर राज्य सरकार के मंत्री भूपेन्द्र चूडास्मा ने इस फैसले को शिक्षा जगत के लिए ऐतिहासिक तथा पूरे देश के लिए दिशा सूचक बताते हुए इसका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अब इसे पूरी सख्ती से लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस फैसले से कांग्रेस और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी को भी जवाब मिला है जिन्होंने चुनाव के दौरान राज्य की भाजपा सरकार पर शिक्षा के व्यवसायीकरण के गलत आरोप लगाये थे। अगर निजी स्कूल अब इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे तो सरकार भी अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।

शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुनयना तोमर ने कहा कि कानून को लागू करने की पूरी संरचना तैयार है और आज एक वेबसाइट का भी उद्घाटन हो रहा है जिसके जरिये लोग स्कूलों में प्रवेश के लिए आनलाइन फार्म भरेंगे जिससे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होगा।

राज्य सरकार के आंकड़े के अनुसार कानून के दायरे में आने वाले राज्य के 15,927 स्कूलों में से 11,174 कानून में तय से कम फीस लेते हैं। 841 ने फीस नियमन समिति से संपर्क किया है। दो हजार से अधिक ने कोई हलफनामा नहीं दिया और 2300 से अधिक ने कानून को चुनौती दी थी। अभिभावकों के वकील रोहित पटेल ने बताया कि अदालत ने समिति में अभिभावकों को प्रतिनिधित्व देने की मांग भी खारिज कर दी है।


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