भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का श्रीगणेश जीएसटी: रमन
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि जीएसटी कानून देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का शंखनाद है
रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि जीएसटी कानून देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का शंखनाद है। यह भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का गणेश है। डॉ. सिंह ने आज आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ की 23वीं कड़ी में श्रोताओं को जीएसटी कानून के महत्व और उससे मिलने वाले फायदों की जानकारी दी।
डॉ. सिंह ने कहा-पहले दुकानदार को अलग-अलग तरह के काम-धंधे में 16 तरह के करों का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें सिर्फ एक,
जी.एस.टी. का भुगतान करना होगा। इसके लिए ऑन लाइन व्यवस्था की जा रही है। व्यापारियों को अलग-अलग तरह के कर पटाने और उन सबका हिसाब-किताब रखने के लिए काफी समय देने के कारण, उन्हें बंधन महसूस होती थी, अब इससे राहत मिलेगी।
इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई कर प्रणाली को आर्थिक आजादी का नाम दिया है। उन्होंने जीएसटी को 'गुड एण्ड सिम्पल टैक्स कहा है, जिसका मतलब होता है, 'अच्छा और सरल कर। मुख्यमंत्री ने कहा- आजादी के बाद लगातार देश में जो करों का मकड़जाल बिछ गया था, उसे समाप्त कर दिया गया है। जीएसटी से व्यापार-व्यवसाय से जुड़े लोगों को सुविधा होगी।
साथ ही आम जनता, विशेषकर गरीबों को भी बहुत लाभ होगा। डॉ. सिंह ने कहा- कृषि और घरेलू उपयोग की ज्यादातर वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त रखा गया है। आम जरूरतों के 80 प्रतिशत सामानों पर मात्र 5 से 18 प्रतिशत के बीच जीएसटी लगाया गया है। उच्च वर्ग के उपयोग की चीजों पर भी 28 प्रतिशत की दर से ÓजीएसटीÓ लगाया गया है, जिसकी संख्या भी कम है।
मुख्यमंत्री ने रेडियो श्रोताओं को बताया-छत्तीसगढ़ में तत्काल प्रभाव से हमने आरटीओ के 16 नाके समाप्त कर दिए हैं, जिससे जीएसटी की भावना के अनुरूप निर्बाध परिवहन हो सके। ऐसे अनेक लाभ भविष्य में देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा-इस तरह जीएसटी का हम सबको मिलकर स्वागत करना चाहिए। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जीएसटी गांव, गरीब और किसानों के हित में है।
इस बार 48 लाख हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेशवासियों से इस महीने की 20 तारीख को हरियर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत राज्य में आयोजित होने वाले वृक्षारोपण समारोहों में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस त्यौहार को हम सब मिल-जुलकर मनाएंगे। इस वर्ष राज्य में आठ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है, जिसे पूरा करने के लिए 20 जुलाई से विशेष अभियान की शुरूआत होगी। लक्ष्य पूर्ति का संकल्प हम सब लेंगे। सभी जिलों, तहसीलों, विकासखण्डों और पंचायतों में त्यौहार के रूप में वृक्षारोपण समारोह मनाया जाएगा। अगर आप स्वयं की जमीन में या खेत में पेड़ लगाना चाहेंगे तो उसके लिए भी पौधे उपलब्ध हैं।
फलदार वृक्षों के पौधे भी उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ने बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए अपनी आज की रेडियो वार्ता को खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं पर केन्द्रित रखा। प्रदेश में 48 लाख हेक्टेयर के रकबे में विभिन्न फसलों की बोनी का लक्ष्य है। इसमें से 36 लाख 50 हजार हेक्टेयर में धान, चार लाख हेक्टेयर में दलहन, तीन लाख हेक्टेयर में तिलहन और लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में साग-सब्जी तथा गन्ना आदि की फसल लगाने का लक्ष्य है।
7.45 लाख क्विंटल बीज और 10.65 लाख टन खाद का इंतजाम- डॉ. रमन सिंह ने कहा-किसानों की सुविधा के लिए योजनाओं का ऐसा ताना-बाना हमने बुना है कि उन्हें हर चीज सही समय पर, बिना किसी दिक्कत के मिल सके। इस वर्ष खरीफ के लिए सात लाख 45 हजार बीजों के साथ-साथ दस लाख 65 हजार मीटरिक टन खाद का भी इन्तजाम किया गया है।
ग्यारह लाख किसानों को ब्याज मुक्त ऋण- किसानों को पहले खेती के लिए 14 प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेना पड़ता था। ऊंची दर होने के कारण वे ब्याज पटाने के चक्कर में परेशान रहते थे और डिफाल्टर होने से उनकी प्रगति रूक जाती थी। मंहगे कर्ज के दुष्चक्र को हमने तोड़ दिया है। हमने लगातार ब्याज दर कम की है और अब किसानों को बिना ब्याज के अल्पकालीन कृषि ऋण दे रहे हैं, जिसका लाभ हर साल ग्यारह लाख किसानों को मिलता है। राज्य में किसान पहले सिर्फ 150 करोड़ रूपए का ही ऋण लेते थे, लेकिन ब्याज मुक्त ऋण मिलने के बाद धीरे-धीरे परिवर्तन आया और आज हमारे किसान तीन हजार करोड़ रूपए से अधिक कृषि ऋण उठा रहे हैं। इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में किसानों की अर्थव्यवस्था ने कितनी ऊंची छलांग लगाई है।
किसानों से तेरह साल में 6.22 करोड़ मीटरिक टन धान खरीदी- मुख्यमंत्री ने बताया - छत्तीसगढ़ में एक हजार 989 उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी की व्यवस्था है। विगत 13 वर्षों में 6 करोड़ 22 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और किसानों को करीब 64 हजार 730 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। कृषि लागत कम करने के उपाय, अच्छी फसल, खरीदी की शानदार व्यवस्था आदि के कारण किसानों में समृद्धि बढ़ी है। धमतरी में प्रदेश का पहला 'किसान-बाजार शुरू किया गया है। जिला प्रशासन की पहल पर ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसमें उत्पादक और ग्राहक को नजदीक लाया गया है और मध्यस्थ को हटा दिया गया है। इस तरह सब्जी उत्पादक किसानों को अपनी उपज का अच्छा दाम मिल रहा है और नागरिकों को सस्ती और ताजी सब्जी मिल रही है।
पांच हार्सपावर तक पम्पों को नि:शुल्क बिजली- मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जिसने 5 हार्सपावर के पम्पों तक नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की सुविधा दी है। प्रति पम्प 7500 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली हर साल दी जा रही है। इससे प्रति किसान औसतन 31 हजार रुपये का वार्षिक लाभ मिल रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों को प्रति किसान औसतन 50 हजार रुपये का लाभ इस योजना से मिल रहा है।
इतना ही नहीं, जहां परंपरागत बिजली देना संभव नहीं, वहां ''सौर सुजला योजना के माध्यम से दो वर्षों में 51 हजार सोलर पम्प देने की योजना शुरू की गई है। ड्रिप-स्प्रिंकलर के लिए अनुदान- डॉ. रमन सिंह ने अपनी रेडियो वार्ता में बताया-लघु एवं सीमांत किसानों को स्प्रिंकलर के लिये 11 हजार 800 रूपए तथा अन्य किसानों को 7 हजार 800 रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसी तरह ड्रिप के लिये भी 40 हजार से 60 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर तक अनुदान दिया जा रहा है।
बारह हजार से अधिक गन्ना किसानों को बोनस- उन्होंने रेडियो श्रोताओं को बताया- प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में 4 शक्कर कारखाने स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के 12 हजार से अधिक किसानों को लगभग 33 हजार रूपये औसत की दर से गन्ना बोनस का भुगतान किया गया है। परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत छह जिलों सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर नगर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा और कोरबा के गांवों में जैविक प्रमाणीकरण का अभियान चलाया जा रहा है। इस जिले में 9 हजार एकड़ क्षेत्र के 8 हजार से अधिक कृषकों को इसमें शामिल किया गया है। जैविक खेती मिशन में 5 जिले गरियाबंद, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा एवं दंतेवाड़ा तथा 22 जिलों के एक-एक विकासखंड को पूर्ण जैविक बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई है।
नदी-नालों के किनारे 29 हजार से अधिक सेलो ट्यूबवेल-डॉ. रमन सिंह ने कहा-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत नदी, नालों के किनारे 29 हजार से अधिक सेलो ट्यूबवेल का खनन किया गया है, साथ ही 15 करोड़ रूपए की लागत से 185 चेक डेम का निर्माण किया गया है। किसान समृद्धि योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 5 हजार किसानों के खेतों में 14 करोड़ रूपए की लागत से नलकूप का खनन किया गया है। शाकम्भरी योजना में लघु सीमांत कृषकों को 8 हजार 300 कूप खोद कर दिए गए तथा 1 लाख 86 हजार से अधिक पंप दिए गए। प्रदेश का सिंचित रकबा 22 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है। अभियान लक्ष्य भागीरथी के तहत 106 पुरानी तथा अपूर्ण योजनाओं को पूर्ण करने से 51 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता बनी है।
सिंचाई योजना में खारंग, मनियारी और केलो का चयन-डॉ. रमन सिंह ने श्रोताओं को बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में जल की मांग और उपलब्धता के अंतर को कम करने के लिए जिला तथा राज्य स्तरों पर अलग-अलग सिंचाई योजना तैयार की गई है। 'फास्ट ट्रेक' प्रगति के लिए राज्य की 3 सिंचाई परियोजनाओं- खारंग, मनियारी और केलो का चयन किया गया है। वर्ष 2019 तक इन योजनाओं में 42 हजार 625 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित होगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- मुख्यमंत्री ने कहा-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू करके जो क्रान्तिकारी पहल की थी, उसका भरपूर लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा है।


