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जीएसटी में 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब पर जीएसटी काउंसिल में हो पुनर्विचार

जीएसटी कॉउंसिल की निर्णायक बैठक से पूर्व व्यापारियों ने जीएसटी कॉउंसिल से आग्रह किया है

जीएसटी में 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब पर जीएसटी काउंसिल में हो पुनर्विचार
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नई दिल्ली। जीएसटी कॉउंसिल की निर्णायक बैठक से पूर्व व्यापारियों ने जीएसटी कॉउंसिल से आग्रह किया है की जीएसटी के अंतर्गत 28 प्रतिशत की कर दर में शामिल किये गए उत्पादों की पुर्नसमीक्षा की जाए और इस श्रेणी में केवल लक्जरी व डिमेरिट वस्तुओं को रखा जाए। क्योंकि इस कर दर में शामिल वस्तुओं के कारण कुछ व्यापारी वर्गों में असंतोष है।

दुपहिया, चार पहिया वाहनों के स्पेयर पार्ट्स, सीमेंट, आयरन एंड स्टील, बिल्डिंग हार्डवेयर, पेंट, मार्बल, सेनेटरीवेयर, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स, सौन्दर्य प्रसाधन, बॉर्न्विटा, अमूल प्रो हॉर्लिक्स जैसे स्वास्थ्यवर्धक प्रोडक्ट, साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट आदि को 28 प्रतिशत की दर में है जो कि किसी भी दृष्टि से लग्जरी नहीं हैं।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी कॉउंसिल द्वारा पूर्व में जारी एक अधिकृत वक्तव्य में कहा गया था की 28 प्रतिशत का कर स्लैब केवल उन वस्तुओं के लिए है जिन पर अभी 30-31 प्रतिशत, वैट एवं एक्साइज ड्यूटी मिलाकर कर लगती है लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में वस्तुएं आम आदमी खास तौर पर मध्यमवर्ग द्वारा उपयोग की जाती हैं इसलिए 28 प्रतिशत की कर दर उनके लिए महंगी साबित होगी और इस दृष्टि से ऐसे सभी आइटम 18 प्रतिशत की कर दर में रखे जाएंगे। लेकिन लगभग 19 प्रतिशत आइटम इस कर दर में रखने से कॉउंसिल का उद्देश्य ही विफल हो गया है।

उन्होंने कहा की खाद्य वस्तुओं को सरकार ने कर से मुक्त रखा है लेकिन ब्रांडेड होने के कारण इन वस्तुओं को 5 प्रतिशत की कर दर में डाला गया है। ब्रांडेड शब्द के कारण इस पर देश भर में भ्रम की स्थिति है जिसको देखते हुए कॉउंसिल को ब्रांडेड शब्द को स्पष्ट करना चाहिए।

इसके साथ ही 1 जुलाई से 31 मार्च 2018 तक की अवधि को अंतरिम काल अधिकृत रूप से घोषित किया जाए और कर पालना में हुई किसी भी त्रुटि के लिए व्यापारियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्यवाही न की जाए। व्यापारियों ने कपड़े की सभी श्रेणियों को कर मुक्त रखने की अपील की है। खाली बोतलें जैसी स्क्रैप एवं री-साइकिल वस्तुओं को 12 प्रतिशत, वाशिंग सोप, लांड्री सोप और टॉयलेट सोप जो आपस में बिलकुल भिन्न हैं को एक करते हुए 18 प्रतिशत में से निकाल कर कम दर में डाला जाए वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े सेनेटरी नैपकिन को कर से मुक्त रखा जाए।


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