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जीएसटी: संविधान प्रदत्त भोजन तथा धर्म चुनने की आजादी पर कुठाराघात - मंजीत सिंह जीके

जीएसटी लगने के बाद गुरुद्वारों के लंगर तथा प्रसाद पर पड़े व्यापक असर को दूर करने के लिए केंद्र एवं दिल्ली सरकार से अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जीएसटी में राहत देने का आग्रह किया है

जीएसटी: संविधान प्रदत्त भोजन तथा धर्म चुनने की आजादी पर कुठाराघात - मंजीत सिंह जीके
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लंगर पर जीएसटी की मार, छूट दे सरकार

नई दिल्ली। जीएसटी लगने के बाद गुरुद्वारों के लंगर तथा प्रसाद पर पड़े व्यापक असर को दूर करने के लिए केंद्र एवं दिल्ली सरकार से अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जीएसटी में राहत देने का आग्रह किया है।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जीएसटी परिषद द्वारा जीएसटी मुक्त किये गये 83 मदों के प्रावधानों में से कुछ प्रावधानों के अन्तर्गत कमेटी को छूट प्रमाणपत्र देने की मांग रखते हुए कहा कि भुखमरी व कुपोषण से जनता को बचाने की जिम्मेदारी संविधान सरकार को देता है परन्तु सिख गुरुओं की परम्पराओं को जीवित रखते हुए दिल्ली कमेटी रोजाना हजारों लोगों का पेट लंगर के सहारे भरती है।

गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान मंजीत सिंह जीके ने कहा कि इस तरह गुरुद्वारा कमेटी सरकार की जिम्मेदारी खुद निभा रही है जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार भुखमरी और कुपोषण से रोजाना 3000 बच्चे मर रहें हैं।

जीके ने पत्र लिखे जाने की जानकारी देते हुए कहा कि एक तरफ सरकार हज, अजमेर उर्स, अमरनाथ यात्रा तथा कावड़ शिविरों को अनुदान देती है पर हम अनुदान के स्थान पर केवल कर छूट की मांग कर रहे हैं।

देश का संविधान हमें भोजन तथा धर्म चुनने की आजादी देता है पर जीएसटी का कर ढांचा इस पर भयानक चोट कर रहा है। कमेटी द्वारा हरियाणा स्थित लगभग 283 एकड़ जमीन पर किये जाते कृषि कार्य, कृषि माल ढुलाई, गैर व्यापारिक कार्य, स्कूलों तथा कॉलेजों की श्रृंखला का संचालन और कानून द्वारा स्थापित गैर लाभकारी संस्था के प्रावधान का भी जीके ने सरकार को कर छूट देने की मांग रखी।

धार्मिक अनुष्ठानों एवं संस्कृति को मद 73 एवं 61 के तहत मिली जीएसटी छूट का जिक्र करते हुए जीके ने गुरुद्वारों, स्कूलों तथा अन्य संस्थाओं में लगाये जाते लंगरों और गुरुबाणी कीर्तन एवं गतका सिखलाई को सिख संस्कृति को बचाने तथा प्रसार करने के साथ जोड़ा है।

भ्रम की स्थिति से बचने के लिए जीके ने सरकारी तथा अर्धसरकारी ऐजेंसी के जरिये राशन खरीदने का विकल्प सरकारों को देते हुए कर छूट मिलने पर नेफैड, केंद्रीय भंडार, सुपर बाजार, अमूल, मदर डेयरी, डीएमएस, वेरका तथा वीटा से राशन व डेयरी उत्पाद खरीदने को भरोसा दिया। जीके ने जीएसटी के कारण कमेटी पर लगभग 2.5 करोड़ का आर्थिक बोझ पडऩे का दावा करते हुए कर छूट को कमेटी का हक बताया है।


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