जीएसटी : खाने की टेबल से चिकन गायब
केरल में लोगों की खाने की थाली से चिकन गायब हो गई है, क्योंकि चिकन विक्रेताओं ने केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक के खिलाफ जंग छेड़ दी है
तिरुवनंतपुरम। केरल में लोगों की खाने की थाली से चिकन गायब हो गई है, क्योंकि चिकन विक्रेताओं ने केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक के खिलाफ जंग छेड़ दी है, जिन्होंने उनसे जीएसटी के तहत चिकन को 87 रुपये किलो बेचने को कहा है।
चिकन विक्रेताओं ने सोमवार से प्रदेशस्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है और कहा है कि 87 रुपये किलो की दर से चिकन बेचना संभव नहीं है।
इसाक ने हालांकि चीजों को संभालने की कोशिश की, लेकिन रविवार को बातचीत टूटने के बाद वे हड़ताल को रोकने में नाकाम रहे।
इसाक ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए राज्य के बाहर की बड़ी चिकन कंपनियों को राज्य में चीजों पर नियंत्रण करने का जिम्मेदार ठहराया।
इसाक ने कहा, "जीएसटी से पहले चिकन पर 14.5 फीसदी कर लगता था, लेकिन अब 1 जुलाई के बाद से इन पर कर नहीं लग रहा है, इसलिए इसका लाभ ग्राहकों को मिलना चाहिए। कम से कम कर में छूट का एक हिस्सा तो ग्राहकों को देना चाहिए। राज्य की सरकारी कंपनी केपको चिकन 120 रुपये प्रति किलो की दर से बेचती है, क्योंकि उनका उत्पाद साफ किया हुआ, स्किन निकाला हुआ और हाइजेनिक होता है।"
इस हड़ताल से चिकन उत्पादकों के सामने एक और समस्या पैदा हो गई है कि पूरी तरह परिपक्व हो चुके चिकन का कोई खरीदार नहीं है।
इससे निपटने के लिए कई चिकन उत्पादक रविवार से अपने चिकन को तमिलनाडु ले जाकर बेच रहे हैं।
इस बारे में इसाक का कहना है कि केरल के उत्पादक देश भर के किसी भी हिस्से में अपने उत्पाद को बेचने के लिए स्वतंत्र हैं।


