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ग्राउंड रिपोर्ट: क्या ये "काला कानून" हैं, देखिए किसानों की कहानी उन्हीं की जुबानी

भारत के इतिहास में ये किसान आंदोलन सुनहरे पन्नों में लिखा जाएगा क्योंकि पहली बार ही ऐसा है जब सरकार अपने ही निर्णय को लेकर असमंजस में है

ग्राउंड रिपोर्ट: क्या ये काला कानून हैं, देखिए किसानों की कहानी उन्हीं की जुबानी
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश के अन्नदाता सड़कों पर हैं। भारत के इतिहास में ये आंदोलन सुनहरे पन्नों में लिखा जाएगा क्योंकि पहली बार ही ऐसा है जब सरकार अपने ही निर्णय को लेकर असमंजस में है। न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारें भी इन दिनों घिरी हुई है। हरियाणा से लेकर राजधानी दिल्ली में किसानों ने सड़कों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजधानी दिल्ली की हर सीमा और हर सड़कों पर देश के अन्नदाता इन नए तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर लगातार 35 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन को लेकर तरह-तरह की बात की जा रही है। सब अपने अपने पक्ष की कहानी लगातार सुना रहे हैं लेकिन देशबन्धु की टीम आपको किसानों की कहानी किसानों की ही जुबानी सुनाएगी।

सिंघु बॉर्डर पर अपना घर बार छोड़ कर सरकार को झुकाने की मंशा से आए किसानों के बीच आज देशबन्धु की टीम पहुंची। ग्राउंड जीरों से हमारी टीम ने किसानों की मांगों को देश के सामने रखा। बातचीत में किसानों ने साफ कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए ये तीन नए कानून "काले कानून" है जो देश के किसान के लिए नहीं बल्कि कॉर्परेट में बैठे सरकार के उद्योगपति दोस्तों के लिए है। आंदोलन कर रहे एक किसान ने साफ कहा कि सरकार से हम मांग कर रहे हैं कि वह स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करें और एमएसपी को लेकर कानून बनाए। किसान ने पराली को लेकर भी सरकार को घेरा। किसान ने कहा कि सरकार ने तो पराली को लेकर अपना फरमान सुना दिया है लेकिन किसान इस पराली को लेकर कहा जाए। हमारे ऊपर जो जुर्माना लगाया जाता है हम उसे कैसे दें अपना घर बेच कर या फिर अपने बच्चों के गुर्दे बेचकर। इन कानूनों को लेकर सरकार की तरफ से कही जाने वाली बात का जब जिक्र किया गया तो किसानों ने कहा कि हमारे लिए सरकार सारे दरवाजे क्यों नहीं खोलती है। पंजाब के किसानों के लिए बॉर्डर खोले जाए ताकि हम भी फायदा कमा सकें। किसानों ने साफ कहा कि हम यहां किसान और किसान के बच्चे बनकर आए हैं न की आतंकवादी बनकर आए हैं।

किसानों ने कहा कि ये सरकार हमारे नौजवानों को कहते हैं कि पंजाब के युवा नशे करते हैं लेकिन हमारे बच्चे आज हमारे साथ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों ने लगातार हरियाणा सरकार पर भी हमला बोला। उनका साफ कहना है कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने सड़के खुदवां दी। हमें रोकने का पूरा प्रयास किया लेकिन आज हमारी नौजवान पीढ़ी हमारे साथ खड़ी है और उसके साथ मिलकर आज हम देश की राजधानी में सरकार से इन काले कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। खट्टर सरकार पर भड़के हुए किसानों ने साफ कहा कि किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी करने में खट्टर सरकार का भी बराबर का हाथ है और इसकी सजा खट्टर सरकार को भी बराबर की मिलनी चाहिए। किसानों ने किसी सड़क को नहीं खोदा बल्कि इसके लिए खुद खट्टर सरकार जिम्मेदार है।

किसानों ने साफ कहा कि हमारे सभी साथी सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और नोएडा में बैठ हुए है और हमारा समर्थन कर रहे हैं। सरकार से नाराज किसानों ने कहा कि जो पंजाब से ये लड़ाई शुरु हुई थी वो आग की तरह पूरे हिन्दूस्तान में फैल चुकी है और मोदी सरकार को ये पता चल गया है कि उनका नामोंनिशान नहीं रहेगा। किसानों ने साफ कहा कि अब किसान सरकार बनाएगा।

हमारी टीम के जरिए किसानों ने सरकार को संदेश दिया कि सरकार के कार्यकर्ता भले ही सरकार को बता रहे हों कि ये किसान नहीं है और आपकी स्थिति पंजाब में काफी अच्छी है लेकिन असलियत ये नहीं है। किसानों ने सरकार और सरकार के नुमाइंदों पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार हर आंदोलन को नकारात्मक दिखाने की कोशिश करती हैं। सरकार को किसी पर कोई बिल या कानून थोपना नहीं चाहिए। किसानों ने कहा कि हमें जिसकी जरुरत है सरकार वो दे ये फालतू के कानून को हमारे ऊपर न थोपें।

देशबन्धु की टीम के जरिए सिंघु बॉर्डर पर सरकार के द्वारा लाए गए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी बात सरकार और देश की जनता के सामने रखी हैं। आप भी देखिए सिंघु बॉर्डर से देशबन्धु की ग्राउंड रिपेर्टिंग..


https://youtu.be/1FshOj7JvYY


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