Top
Begin typing your search above and press return to search.

ग्रेनो सीईओ को एक माह कारावास की सजा, गिरफ्तारी का आदेश भी जारी

जिला उपभोक्ता फोरम ने ष्षनिवार को सुनवाई के दौरान पारित किया आदेश

ग्रेनो सीईओ को एक माह कारावास की सजा, गिरफ्तारी का आदेश भी जारी
X


ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने का कारावास सुनाया गया है। उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया है।

जिला उपभोक्ता फोरम ने शनिवार को पारित आदेश में कहा है कि पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है।

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया है। जिसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है। उन पर 2,000 रूपये का अर्थदंड लगाया गया है।

सीईओ को गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को वारंट भेजा गया है। जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए।

जिला उपभोक्ता फोरम से मिली जानकारी के मुताबिक महेश मित्रा नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2001 में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया था बेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने महेश मित्रा को आवंटन नहीं किया। जिसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था। इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाया।

जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए। जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्ते लागू रहेंगी। इसके अलावा मुकदमे का हर्जाना खर्चा भी भरने का आदेश प्राधिकरण को दिया गया था।

प्राधिकरण ने राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया

जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की। अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया। राज्य आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा की ओर से नोएडा विकास प्राधिकरण में जमा किए गए रूपये 20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी। यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी। उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6 फीसदी ब्याज भी चुकाना होगा। राज्य आयोग के इस फैसले से विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई।

महेश मित्रा ने राष्ट्रीय आयोग में अपील दायर की

राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ महेश मित्रा ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। पूरे मामले को सुनने के बाद राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया। राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है। जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वह सही है। हालांकि, जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले में राष्ट्रीय आयोग ने मामूली बदलाव किया। राष्ट्रीय आयोग ने अपने फैसले में कहा कि महेश मित्रा को 500 वर्गमीटर से 2,500 वर्गमीटर के बीच का कोई भी प्लॉट आवंटित किया जा सकता है। यह उनकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट और आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it