ग्रामीणों के प्रयास से हरा-भरा हुआ मड़वापहाड़
सरगुजा के दरिमा क्षेत्र में स्थित मड़वापहाड़ पर प्लान्टेशन की पहल कर वाइब्रेंट नेचर नामक संस्था ने इस पहाड़ को दोबारा से हरा भरा कर दिया है।

अंबिकापुर। सरगुजा के दरिमा क्षेत्र में स्थित मड़वापहाड़ पर प्लान्टेशन की पहल कर वाइब्रेंट नेचर नामक संस्था ने इस पहाड़ को दोबारा से हरा भरा कर दिया है। वर्षो पहले इस पहाड़ में घनघोर जंगल हुआ करता था लेकिन बदलते वक्त के साथ पहाड़ में सिर्फ पत्थरीली जमीन ही बच गई थी लेकिन अब इस पहाड़ में प्लान्टेशन कर के इसे दोबारा से जंगल में बदलने का प्रयास सफल होता होता दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट जाने के रास्ते पर स्थित इस मड़वा पहाड़ में वर्षो पहले इतना घनघोर जंगल हुआ करता था कि इसमें खतरनाक जंगली जानवर भी रहते थे लेकिन जंगलो की कटाई इस कदर हुई की मड़वा पहाड़ में पेड़ खोजने से भी नहीं मिल रहा था लेकिन यहां के ग्रामीणों की मेहनत ने इसे दोबारा से हरा भरा कर दिया है। दरअसल इस स्कूल में शिक्षा कुटीर नाम की एक निजी स्कूल संचालित है। इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां बच्चो को पढ़ाई से लेकर यूनिफार्म, कापी-किताब सब कुछ संस्था की तरफ से निशुल्क दिया जाता है। इस स्कूल में पढने वाले बच्चों के पैरेंट्स से फीस के नाम पर एक पौधा लगवाया जाता है।
शिक्षा कुटीर ने अपने सहयोगी संस्थान वाइब्रेंट नेचर के तहत मड़वा पहाड़ का चयन किया और स्कूल में निशुल्क पढने वाले बच्चो के परिजनों से पहाड़ में एक एक पेड़ लगवाए और उनकी देख रेख जा जिम्मा दिया और आज मडवा पहाड़ में लगे पेड़ बड़े हो चुके चुके है।् बहरहाल शिक्षा कुटीर के माध्यम से बच्चो को निशुल्क बेहतर शिक्षा देना और कम पढ़े लिखे ग्रामीणों को नए अंदाज में समझा कर वृक्षा रोपण के लिए प्रोत्साहित करने का काम वाइब्रेंट नेचर को जाता है।
इस संस्था ने इस गाँव में ना सिर्फ बच्चो को निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की है बल्कि पर्यावरण बचाने के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण काम किया है।वही ग्रामीणों और संस्था के द्वारा किये गए इस काम को वनमंडलाधिकारी मो. शाहिद ने सराहा है और वृक्षा रोपण को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग करने की बात भी कही है। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी हमने संस्था को प्लान्टेशन के लिए नर्सरी उपलब्ध कराई थी और आगे भी अगर जरूरत पड़ती है तो मदद की जाएगी।


