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पौधों की जेनेटिक इंजीनियरिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला में हरितक्रांति को किया रेखांकित

फसल सुधार में जेनेटिक इंजीनियरिंग की भूमिका को स्वीकार करते हुए जैव प्रौद्योगिकी स्कूल, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय 19-23 दिसंबर तक ष्इन विट्रो रिजनरेशन एंड जेनेटिक ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्सष् पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है

पौधों की जेनेटिक इंजीनियरिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला में हरितक्रांति को किया रेखांकित
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ग्रेटर नोएडा। फसल सुधार में जेनेटिक इंजीनियरिंग की भूमिका को स्वीकार करते हुए जैव प्रौद्योगिकी स्कूल, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय 19-23 दिसंबर तक ष्इन विट्रो रिजनरेशन एंड जेनेटिक ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्सष् पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

उद्घाटन समारोह के प्रारंभ में कार्यशाला के समन्वयकों में से एक डॉ. भूपेंद्र चौधरी ने खाद्य भुखमरी से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधी बौने गेहूं और चावल की किस्मों के प्रजनन के लिए श्हरित क्रांतिश् के क्रियान्वयन में डॉ. नॉर्मन बौरलॉग के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने 2050 में खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आधुनिक फसल पौधों की जेनेटिक इंजीनियरिंग के लिए पादप विज्ञान के छात्रों और संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित करने हेतु ऐसी कार्यशालाओं की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।

इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर.के. सिन्हा ने सामाजिक सुधार में मौलिक अनुसंधान और इसके अनुप्रयोगों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अपने भौतिकी अनुसंधान और इसके अनुप्रयोगों में से एक जैविक अनुप्रयोगों पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने स्कूल के संकाय सदस्यों, स्कूल के लिए बाह्य अनुदान प्राप्त करने की उनकी क्षमता और अनुसंधान के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की सराहना की। कुलपति ने जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया और हमारी अनुसंधान शक्तियों और समाज की जरूरतों और आवश्यकताओं को कैसे समन्वित किया जाए, इस पर एक रोडमैप तैयार किया।

उद्घाटन समारोह में डॉ. नागेंद्र सिंह, विभागाध्यक्ष, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने मुख्य वक्ता आईआईटी-मद्रास के प्रोफेसर डी. वेलमुरुगन का परिचय दिया और प्रोटीन संरचना एवम उनके कार्यात्मक वर्णन के क्षेत्र में उनके अकादमिक क्रेडेंशियल और शोध योगदान पर प्रकाश डाला।

प्रोटीन संरचनाओं के वर्णन में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एन. रामचंद्रन के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने जिंजर से नए फाइटो-घटकों की पहचान पर अपने शोध और उनकी कैंसर के उपचार और वायरल रोग प्रबंधन में भूमिका पर भी प्रकाश डाला।


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