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बढ़ रही हैं ग्रीन जॉब लेकिन मिल नहीं रहे कुशल लोग

दुनिया में ग्रीन जॉब यानी ऐसी नौकरियों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें पर्यावरण के अनुकूल कौशल की जरूरत होती है. लेकिन ऐसे कुशल लोगों की संख्या बहुत कम है.

बढ़ रही हैं ग्रीन जॉब लेकिन मिल नहीं रहे कुशल लोग
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जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी का तापमान जिस तरह बढ़ रहा है, उसी अनुपात में ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर जागरूकता भी बढ़ रही है. यही वजह है कि पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से ऊर्जा उत्पादन से लेकर कुदरती संसाधनों का संयमित प्रयोग आवश्यक हो गया है और काम करने के तरीकों को उनके अनुरूप ढाला जा रहा है.

अर्थशास्त्री कहते हैं कि जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग कम करके अक्षय ऊर्जा को उसकी जगह लाने के क्षेत्र में बड़ी आर्थिक और वित्तीय संभावनाएं मौजूद हैं. ये संभावनाएं ऊर्जा ही नहीं, अन्य कई क्षेत्रों में भी फैली ही हैं. नीतियों और निवेश को अक्षय ऊर्जा केंद्रित उद्योगों के मुताबिक ढालकर दसियों हजार नौकरियां पैदा की जा सकती हैं. कुछ अध्ययन कहते हैं कि ऐसा करने से सिर्फ इसी दशक में कई करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं.

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लेकिन लेबर मार्किट के विशेषज्ञों की नजर में ग्रीन इकनॉमी को जो चीज बढ़ने नहीं दे रही है, वह है ऐसे निपुण लोग जो इन क्षेत्रों की समझ रखते हों और इनमें काम कर सकें. इसलिए लोगों को नए कौशल सीखने के लिए प्रोत्साहित किए जाने को भी जरूरी पहलू माना जाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कथित ग्रीन जॉब के लिए तैयार हों.

क्या होती हैं ग्रीन जॉब?

एक आम समझ है कि सोलर पैनल लगाना, पवचक्कियों के क्षेत्र में काम करना या संरक्षित क्षेत्रों में काम करना ही ग्रीन जॉब है. लेकिन असल में इनका दायरा कहीं ज्यादा बड़ा है.

मिसाल के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में नए खनिकों की जरूरत है जो इन वाहनों के लिए जरूरी खनिजों का दोहन कर सकें. ऐसे इंजीनियर चाहिए जो नए वाहनों के लिए पुर्जे बना सकें. और ऐसे मकैनिक चाहिए जो नई तरह के पुर्जों को इन कारों में लगाने में कुशल हों. उसके बाद ऐसी शहरी योजना बनाने वाले नीतिविशेषज्ञ चाहिए जो इन नए वाहनों के अनुरूप शहरों का विकास करें.

प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लैटफॉर्म लिंक्डइन के मुताबिक ग्रीन जॉब ऐसी नौकरी है जिसमें पर्यावरण के अनुकूल कौशल की गहरी समझ की जरूरत होती है. यह कौशल सोलर कंसल्टेंट से लेकर सस्टेनेबिलिटी मैनेजर तक शामिल हैं. लेकिन लिंक्डइन के मुताबिक 2021 में हुईं कुल भर्तियों का सिर्फ एक फीसदी हिस्सा ही इन ग्रीन नौकरियों से था.

2022 की अपनी रिपोर्ट में लिंक्डइन ने कहा था कि कुल नौकरियों का 9 प्रतिशत ग्रीन नौकरियों का था. पर्यावरण के अनुकूल होने की संभावनाओं वाली नौकरियां 40 प्रतिशत थीं. ये ऐसी नौकरियां हैं जो विशेष कौशल के बिना भी की जा सकती हैं लेकिन इनमें भी कुछ हद तक ज्ञान का होना जरूरी है.

ग्रीन जॉब के लिए कौशल

सरकारों और उद्योगों में इस बात को लेकर जागरूकता बढ़ रही है कि कम प्रदूषण करने वाली और सेहतमंद जीवनशैली के लिए मौजूदा तौर-तरीकों में बदलाव जरूरी हैं. ये बदलाव खाद्य क्षेत्र से लेकर फैशन और वन क्षेत्र से लेकर वित्त तक, हर जगह जरूरी हैं.

ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाली अमेरिकी संस्था आरएमआई में वरिष्ठ रणनीतिक सहायक निक पेस्टा कहते हैं, "अभी जब ग्रीन जॉब कहा जाता है तो हम बहुत खास कामों के बारे में सोचते हैं. असल में हमें सोचना ये चाहिए कि क्या किया जाए, ताकि हर नौकरी किसी ना किसी हद तक ग्रीन जॉब हो.”

ऐसा करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल कौशल की भारी सप्लाई की जरूरत होगी. मसलन, प्रदूषण कम करने से लेकर उद्योगों के लिए खरीद करते वक्त पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की समझ होने तक तमाम तरह के कौशल नौकरी को ग्रीन बना सकते हैं.

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कुछ विशेषज्ञ तो इस दायरे को और बड़ा करना चाहते हैं और इनमें जोखिम प्रबंधन से लेकर रचनात्कम क्षमताओं जैसे कौशल को भी शामिल करते हैं. लिंक्डइन कहता है कि जो लोग अपनी प्रोफाइल में ग्रीन स्किल्स जोड़ते हैं, उनकी संख्या बढ़ रही है. 2015 में ऐसे 9.6 फीसदी लोग थे जो 2021 में बढ़कर 13.3 प्रतिशत हो गए थे.

लेकिन उसी रिपोर्ट में लिंक्डइन ने स्पष्ट किया है कि जितनी संख्या में ग्रीन नौकरियां उपलब्ध हो रही हैं, उतनी संख्या में कुशल लोग उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए विशेषज्ञ सरकारों से आग्रह कर रहे हैं कि इन कौशलों का विकास करने पर ध्यान दिया जाए औऱ ऐसे कामगार तैयार किए जाएं जो भविष्य में इन ग्रीन नौकरियों के लिए उपयुक्त होंगे.


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