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यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में हुई जमीन खरीद की होगी जांच

ग्रेटर नोएडा ! यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में मास्टर प्लान से बाहर खरीद गई 32 सौ करोड़ रुपए खरीद की जांच होगी।

यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में हुई जमीन खरीद की होगी जांच
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ग्रेटर नोएडा ! यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में मास्टर प्लान से बाहर खरीद गई 32 सौ करोड़ रुपए खरीद की जांच होगी। प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात ने शुक्रवार को इसकी जांच करने का आदेश दिया।
जांच के लिए अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है। टीम को 30 मई तक जांच रिपोर्ट देनी होगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर इसकी उच्च स्तरीय जांच के लिए शासन को सिफारिश भेजा जाएगा। चेयरमैन ने कहा कि प्राधिकरण को चूना लगाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार से सीबीआई जांच के लिए भी सिफारिश की जा सकती है। जांच के आदेश होने पर कई पूर्व अधिकारियों, सपा सांसद, विधायक, भूमाफिया के सिर पर तलवार लटकने लगी है।
कैसे खरीद गई 32 सौ करोड़ रुपए की जमीन
यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में 2012 से 2015 के बीच सपा सरकार में सात गांवों में मास्टर प्लान से बाहर 14 सौ बीघा जमीन सीधे खरीद गई है। खास बात यह है कि जिले में तैनात रहे कई अधिकारियों ने पहले इन गांवों में किसानों से सीधे जमीन खरीदी। इसके बाद प्राधिकरण को कई गुनों में दाम सीधे रजिस्ट्री कर दी। इस खेल में सपा सांसद, विधायक व कई नेता भी शामिल है। यह जमीन आने वाले दस साल तक प्राधिकरण के किसी उपयोग की नहीं है। जमीन को अलग-अलग टुकड़ों में खरीदा गया है। जिस किसी नेता, अधिकारी व उनके रिश्तेदार को जहां पर किसानों से सस्ते में जमीन मिली वह खरीद लिया। इसके बाद प्राधिकरण को जमीन की सीधे रजिस्ट्री कर दी। प्राधिकरण ने आनन-फानन में इस जमीन का अतिरिक्त मुआवजा भी बांट दिया। जबकि देखा जाए तो प्राधिकरण ने जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण के माध्यम से लिया है उन्हें अभी तक अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिल पाया है। जो जमीन प्राधिकरण के मास्टर प्लान से बाहर रही उसका अतिरिक्त मुआवजा भी दे दिया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस पूरे खेल में बड़े स्तर पर अधिकारी, नेता व भूमाफिया शामिल है।
जमीन खरीद से प्राधिकरण का हुआ नुकसान
यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि जमीन खरीद से प्राधिकरण को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे जगह पर जमीन ली गई जो किसी उपयोग की नहीं है,विशेष परियोजनाओं के लिए ही सीधे जमीन खरीदी जा सकती है।


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