Top
Begin typing your search above and press return to search.

जेपी ने फ्लैट खरीदारों से की धोखाधड़ी

ग्रेटर नोएडा ! यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में जेपी ग्रुप बिल्डर ने बिना प्राधिकरण से ले आउट मंजूर हुए फ्लैट की बुकिंग कर दी।

जेपी ने फ्लैट खरीदारों से की धोखाधड़ी
X

ग्रेटर नोएडा ! यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में जेपी ग्रुप बिल्डर ने बिना प्राधिकरण से ले आउट मंजूर हुए फ्लैट की बुकिंग कर दी। दो सौ से ज्यादा फ्लैट खरीदारों ने साथ धोखाधड़ी की। 2013 में फ्लैट बुक कराने के बाद भी अभी तक मौके पर निर्माण कार्य तक नहीं हुआ है। प्रोजेक्ट का ले-आउट प्लान भी प्राधिकरण ने मंजूर नहीं किया है। ले-आउट प्लान को लेकर बिल्डर प्राधिकरण में सिर्फ आवेदन कर दिया। इसके बाद अपनी मनमर्जी के हिसाब से काम करता रहा। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जेपी ग्रुप के ऐसे पांच भूखंड के ले-आउट प्लान का आवेदन रद्द कर दिया है। इसके साथ ही प्राधिकरण बिल्डर पर जुर्माना भी लगाएगा। उधर फ्लैट खरीदारों ने बिल्डर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसएसपी मिलकर शिकायत की है। फ्लैट खरीदारों ने बिल्डर के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग रखी है।
यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने के बदले जेपी इंफ्राटेक को तत्कालीन प्रदेश सरकार ने नोएडा से आगरा के बीच पांच स्थानों पर पांच-पांच सौ हेक्टेयर के नि:शुल्क भूखंड लैंण्ड फॉर डवलपमेंट के तहत दिया था। उन्हीं में जेपी ग्रुप ने यमुना एक्सप्रेस-वे के सेक्टर-22 बी व सी में ग्यारह से लेकर चार एकड़ के पांच भूखंड पर नेचर व्यू के नाम से फ्लैटों की योजना को लांच कर दिया। उस समय प्रदेश बसपा की सरकार थी। इसलिए जेपी ग्रुप की ही तूती बोलती थी। प्राधिकरण के अधिकारी भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते थे। जेपी ने फ्लैट की योजना लांच करने से पहले ले-आउट प्लान के लिए प्राधिकरण में आवेदन नहीं किया और फ्लैटों की बुकिंग शुरू कर दी। बुकिंग शुरू करने के बाद जेपी ने सात फरवरी से 2014 में ले-आउट प्लान मंजूर कराने के लिए प्राधिकरण में आवेदन किया। साथ ही उसने बिल्डर प्लान के लिए आवेदन कर दिया। आश्चर्य की बात यह है कि बिना प्राधिकरण से ले-आउट प्लान मंजूर हुए कोई बिल्डर फ्लैट की बुकिंग नहीं कर सकता है। उस दौरान जेपी बिल्डर की समांतर सरकार थी। बिना ले-आउट प्लान मंजूर हुए करीब दो सौ से ज्यादा लोगों ने फ्लैट की बुकिंग करा ली। इस दौरान प्राधिकरण ने जेपी के ले-आउट प्लान पर कुछ आपत्ति लगा दी। जेपी से उसका जवाब मांगा। खास बात यह है कि जेपी ने आज तक प्राधिकरण के आपत्ति का कोई जवाब नहीं दिया। फ्लैट बुकिंग करता और मौके पर चारदीवारी का निर्माण कार्य चलता रहा। निवेशकों ने जब मौके पर जाकर निर्माण कार्य देखा तो कार्य बंद मिला और उन्हें फ्लैट पर कब्जा कब मिलेगा जेपी की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया। निवेशकों ने बुधवार यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरूणवीर सिंह से मिलकर इसकी शिकायत की। सीईओ ने जब जेपी की फाइल नियोजन विभाग से तलब की तब पता चला कि उसका ले-आउट प्लान मंजूर नहीं है। आवेदन करने के बाद एक सलाह के अंदर ले-आउट प्लान मंजूर नहीं होता है तो स्वत: निरस्त माना जाता है। इसके लिए बिल्डर पर जुर्माना भी प्रति वर्गमीटर के हिसाब से लगता है। सीईओ डॉ. अरूण वीर सिंह ने बताया कि जेपी के पांचों भूखंड़ों को ले-आउट प्लान निरस्त हो चुका है और नियमानुसार उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it