प्राधिकरण के सामने झुका जेपी ग्रुप
ग्रेटर नोएडा ! बकाया किस्त 12 सौ करोड़ रुपए का भुगतान न करने पर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जब जेपी ग्रुप को नोटिस जारी किया तो वह बैकफुट पर आ गया।

प्राधिकरण की कार्रवाई पर दस करोड़ का भुगतान किया, फिर भी राहत नहीं
ग्रेटर नोएडा ! बकाया किस्त 12 सौ करोड़ रुपए का भुगतान न करने पर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जब जेपी ग्रुप को नोटिस जारी किया तो वह बैकफुट पर आ गया। प्राधिकरण अधिकारियों से आंख दिखा कर बात करने वाले जेपी अधिकारी अब प्राधिकरण अधिकारियों के सामने नतमस्तक होते नजर आ रहे है। नोटिस मिलने के बाद जेपी ग्रुप ने लीज रेंट के नाम दस करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया, लेकिन इससे भी जेपी को राहत मिलने वाली नहीं है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जेपी ग्रुप स्पेशल डवलपमेंट जोन एसडीजेड के तहत एक हजार हेक्टेयर जमीन का आबंटित किया था। जिसमें जेपी स्पोटर्स सिटी, फार्मूला वन रेसिंग ट्रैक, क्रिकेट स्टेडियम, हाका अकादमी और आवासीय प्रोजेक्ट भी है। इसके अलावा जेपी इनमें से कुछ जमीन कुछ बिल्डरों को सब लीज कर दी थी। बिल्डरों को सबलीज करने के बाद उनसे पैसा लेने के बाद जेपी ने प्राधिकरण के बकाया किस्त का भुगतान नहीं किया। जेपी 2009 में भूखंड आबंटित किया गया था। 2010-2011 से जेपी ने प्राधिकरण के किस्त का भुगतान नहीं किया। प्राधिकरण लगातार शून्य काल अवधि का लाभ उठाकर किस्त भुगतान से बचता रहा। 2015 में जेपी को अंतिम शून्य काल अवधि का लाभ मिला था। इसके बाद भी जेपी किस्त का भुगतान नहीं किया। इस पर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जेपी को 1200 करोड़ रुपए के भुगतान के चलते नोटिस जारी किया था। नोटिस जारी होने पर जेपी अधिकारियों में हडक़ंप मच गया। जेपी अधिकािरयों ने सोचा भी नहीं था कि उन पर भी प्राधिकरण शिकंजा कस सकता है। नोटिस जारी होने के बाद जेपी ने 30 मार्च लीज रेंट के तौर पर दस करोड़ रुपए जमा कर दिया। इसके बाद प्राधिरकण को पत्र देकर अनुरोध किया कि उसे छह सौ करोड़ रुपए जमा करने के लिए अगस्त तक समय दिया। उसने एक सीमेंट फैक्ट्री एल एंड टी कंपनी को भेज दिया हैं उससे भुगतान मिलने के बाद 600 करोड़ रुपए का भुगतान कर देगा। प्राधिकरण के अधिकारी जेपी अनुरोध पर सहमत नहीं है। उन्हें सबसे पहले 180 करोड़ रुपए जमा करना होगा। इसके बाद ही प्राधिकरण कोई विचार करेगा। मूलधन जमा करने में कोई छूट नहीं दी जाएगी। अगर जेपी ने भूखंड का मूलधन जमा नहीं किया तो उसे राहत देने की स्थिति में नहीं है। यानि जेपी के साथ सब लीज पर जमीन लेने वाले बिल्डरों को अभी राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
लाजिस्टिक इंफ्रा बिल्डर सौ एकड़ जमीन करेगा सरेंडर
यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण बिल्डर ग्रुप हाउसिंग के तहत लाजिस्टिक इंफ्रा बिल्डर को सेक्टर 22 डी में सौ एकड़ भूखंड आबंटित किया था। बिल्डर ने आबंटन के बदले 55 करोड़ रुपए जमा कर दिया था। जमीन आबंटित होने के बाद बिल्डर ने मौके पर अभी तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया। इसका कारण यह भी जिस जमीन को प्राधिकरण ने लाजिस्टिक इंफ्रा बिल्ड को आबंटित किया था उस जमीन पर प्राधिकरण को अभी तक कब्जा नहीं मिल पाया है। इसलिए प्राधिकरण बिल्डर को जमीन पर कब्जा नहीं दे पाया।
ऐसी स्थिति में बिल्डर ने यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में आवेदन करने सौ एकड़ जमीन सरेंडर करने का प्रस्ताव रख दिया था। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि बिल्डर के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। बिल्डर को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है इसलिए जमीन सलेंडर का हक मनता है। कानून राय के बाद प्राधिकरण बिल्डर का जमा पैसा वापस कर जमीन वापस ले सकता है।


