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फिजूल खर्ची रुकी, कर्ज से उबरने लगा यमुना प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा ! मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीद पर रोक लगाने व फिजूल खर्ची रोकने पर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण अब कर्ज से उबरने लगा है।

फिजूल खर्ची रुकी, कर्ज से उबरने लगा यमुना प्राधिकरण
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ग्रेटर नोएडा ! मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीद पर रोक लगाने व फिजूल खर्ची रोकने पर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण अब कर्ज से उबरने लगा है। प्राधिकरण गठन के बाद पहली बार हुआ है कि किसानों को अतिरिक्त मुआवजा भुगतान करने के बाद प्राधिकरण ने बैंकों को 500 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज का भुगतान कर दिया है। एक साल पहले प्राधिकरण की ऐसी स्थिति हो गई थी कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को बैंकों से कर्ज लेना पड़ता था। प्राधिकरण ने अगर बकायेदारा बिल्डरों पर शिकंजा कस कर उनसे वसूली की तो काफी हद तक प्राधिकरण आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है।
करीब दो साल पूर्व यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति इतनी डंवाडोल हो गई थी, अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन देने के लिए प्राधिकरण को बैंकों से कर्ज लेना पड़ता है। प्राधिकरण को विभिन्न योजनाओं से प्रति माह जितना पैसा मिलता था उससे कहीं ज्यादा उसे बैंकों के कर्ज का भुगतान करना पड़ता है। प्राधिकरण को ऐसी स्थिति में लाने के लिए तत्कालीन अधिकारी जिम्मेदार माने जाते थे। बिना किसी योजना के जमीन पर जमीन खरीदता चला गया। प्राधिकरण बैंकों व नोएडा एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण से ब्याज पर कर्ज लेकर किसानों को जमीन के मुआवजे का भुगतान करता रहा। एक अप्रैल 2016 तक यमुना एक्सप्रेस-वे पर तीन हजार 23 करोड़ रुपए का कर्ज था। प्राधिकरण ने यह कर्ज विभिन्न बैंकों व नोएडा एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण से लिया था। इस कर्ज की वजह प्राधिकरण का प्रति माह करोड़ों रुपए ब्याज का भुगतान करना पड़ता था। मई 2006 से यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने बिना किसी प्रयोजन के जमीन खरीद पर रोक लगा दी। साथ ही विकास के नाम पर हो रही फिजूल खर्ची को भी रोकने का काम किया। प्राधिकरण ने इस दौरान औद्योगिक, आवासीय, संस्थागत, कामर्शियल व संस्थागत भूखंडों की योजना निकाली। इस दौरान कई औद्योगिक भूखंड आबंटित किए। साथ ही इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चारिंग योजना के तहत मोबाइल कंपनियों को भूखंड दिया। जिससे प्राधिकरण की आमदनी बढ़ी। भूखंड आबंटित होने के बाद प्राधिकरण के सामने किसानों को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने की मुश्किल खड़ी। इसके लिए प्राधिकरण ने 272 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। एक साल के अंदर प्राधिकरण ने इस कर्ज का भुगतान कर दिया। एक अप्रैल 2018 से पहले प्राधिकरण ने तीन हजार 23 करोड़ रुपए से कम होकर 2506 करोड़ रुपए हो गया। यानि पांच सौ करोड़ से ज्यादा प्राधिकरण ने कर्ज का भुगतान कर दिया। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण डॉ. अरूणवीर सिंह का कहना है कि प्राधिकरण का लक्ष्य है कि आगामी वित्तीय वर्ष में प्राधिकरण ने एक हजार से 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज का भुगतान कर देगा। इसके लिए प्राधिकरण कामर्शियल, संस्थागत व औद्योगिक भूखंडों की योजना निकालेगा।

सिर्फ मूलभूत विकास योजनाओं के लिए जमीन खरीदी जाएगी। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 1427 करोड़ रुपए की आय है, यह आपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।


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