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जेपी अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने किया सफल प्रत्यारोपण

ग्रेटर नोएडा ! जेपी अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के चिकित्सकों की टीम ने एक बार फिर बहुत ही जटिल लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी द्वारा एक मरीज की जान बचाने में सफलता पाई।

जेपी अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने किया सफल प्रत्यारोपण
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ग्रेटर नोएडा ! जेपी अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के चिकित्सकों की टीम ने एक बार फिर बहुत ही जटिल लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी द्वारा एक मरीज की जान बचाने में सफलता पाई। 47 वर्षीय रोगी धीनेंद्र सिंह धाम, बिजनौर का रहने वाला हैं, जिसे दूसरी बार लिवर फैल्योर के कारण लिवर प्रत्यारोपण कराना पड़ा। शराब पीने के कारण पहली बार इसका साल 2008 में लिवर खराब हुआ और तब छोटे भाई वीरेंद्र सिंह (38 वर्ष) ने लिवर दान किया था और अब 8 साल बाद बड़ी बहन कुसुम (54 वर्ष) ने लिवर दान कर भाई की जान बचाई।
यह सफलता जेपी अस्पताल नोएडा के लिवर प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अभिदीप चौधरी एवं उनकी टीम को मिली। डॉ. अभिदीप चौधरी ने बताया कि एक ही मरीज का दो बार लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी करना बहुत ही जटिल प्रोसीजर होता है क्योंकि मरीज ने पहले भी एक बार सर्जरी कराई होती है। ऐसी स्थिति में दोबारा की जाने वाली सर्जरी को सफल बनाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। सर्जरी में रक्त के प्रवाह को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को सही तरीके से जोडऩा बहुत कठिन काम होता है। दोबारा लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी में सबसे अधिक परेशानी यह होती है कि पूर्व में जिन रक्त वाहिकाओं का इस्तेमाल किया गया है उनमें से कुछ को बदलकर कृत्रिम रक्त वाहिकाओं को लगाना पड़ता है। इसके साथ ही दूसरी बार की सर्जरी में अधिक रक्त स्राव का जोखिम भी बढ़ जाता है। मरीज शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी कमजोर होता है। डॉ. चौधरी ने बताया कि पुन: प्रत्यारोपण दो स्थिति में की जाती है। पहला जब हाल ही में किया गया प्रत्यारोपण सफल नहीं हुआ हो या प्रत्यारोपण के बाद कुछ जटिलताएं उत्पन्न हुई हों। दूसरी बार यह प्रोसीजर तब होता है जब कुछ सालों बाद खान-पान, दवाई का सही से सेवन नहीं करने या शराब पीने के कारण लिवर खराब हो गया हो। इस मरीज के साथ ऐसा ही हुआ है।
सर्जरी के सफल होने के बाद धीनेंद्र सिंह धाम ने भी अपना अनुभव बताया कि पहली बार लिवर प्रत्यारोपण के बाद मैं सामान्य जीवन जी रहा था लेकिन शराब पीने की अपनी लत से मैं अधिक दिनों तक छुटकारा नहीं पा सका। इसका परिणाम यह हुआ कि मेरा लिवर दोबारा खराब हो गया। जेपी हॉस्पिटल के डॉ. अभिदीप चौधरी से हुई तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोबारा लिवर प्रत्यारोपण कराकर मैं फिर से सामान्य जीवन जी सकता हूं। मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हूं।


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