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प्राधिकरण ने हैलीपोर्ट निर्माण की अड़चन की दूर

ग्रेटर नोएडा ! ग्रेटर नोएडा में हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर आ रही अड़चन को प्राधिकरण ने दूर कर लिया है। निर्माण को लेकर एजेंसियों ने जो संशोधन का प्रस्ताव रखा था उसे मंजूर कर लिया गया है।

प्राधिकरण ने हैलीपोर्ट निर्माण की अड़चन की दूर
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पीपीपी मॉडल पर बनाया जाएगा हैलीपोर्ट
ग्रेटर नोएडा ! ग्रेटर नोएडा में हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर आ रही अड़चन को प्राधिकरण ने दूर कर लिया है। निर्माण को लेकर एजेंसियों ने जो संशोधन का प्रस्ताव रखा था उसे मंजूर कर लिया गया है। अब चाहे तो तीन कंपनियां मिलकर भी हैलीपोर्ट का निर्माण कर सकती है।
अब साल में कम से कम पचास हजार यात्री विभिन्न स्थानों पर हेलीकॉप्टर से यात्रा कर सकते है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर पिछले कई साल से कवायद चल रही थी। पहले प्राधिकरण ने गलगोटिया कॉलेज के पास हैलीपोर्ट निर्माण का फैसला लिया था। हाईटेशन बिजली लाइन आने के कारण गलगोटिया के बजाय गौतमबुद्ध विवि के समीप प्राधिकरण ने जमीन चिन्हित किया है। हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर ने पहले 15 एकड़ जमीन चिन्हित किया था। हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर प्राधिकरण अधिकारियों की जब तकनीकी एजेंसियों के साथ बैठक हुई तो 15 के बजाय 25 एकड़ जमीन चिन्हित करने का प्रस्ताव रखा गया। जिससे प्राधिकरण ने मंजूर कर लिया था। हैलीपोर्ट का निर्माण दो फेस में किया जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल ने 17 जनवरी को तकनीकी एजेंसियों के साथ हैलीपोर्ट निर्माण को लेकर बैठक हुई थी। जिसमें एजेंसियों ने प्रस्ताव में संशोधन करने की बात कही थी। प्रस्ताव में संशोधन को लेकर मंगलवार तकनीकी एजेंसियों के साथ सीईओ की बैठक हुई। जिसमें प्राधिकरण की तरफ संशोधन पर मुहर लगा दी गई है। सीईओ ने बताया कि पहले साल में कम से कम एक लाख व अधिकतम तीन लोग लोग हैलीकॉप्टर से सफर तय करे तभी हैलीपोर्ट के निर्माण का पहल सार्थक होगा। तकनीकी एजेंसियों ने प्रस्ताव रखा था कि प्रति साल हैलीकॉप्टर से सफर करने वाले लक्ष्य कम किया जाए। प्राधिकरण ने इसमें संशोधन करके साल कम से कम 50 हजार व अधिकतम तीन लाख हैलीकॉप्टर से सफर करने वाले यात्रियों का लक्ष्य रखा गया। हेलीकॉप्टर का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप के आधार करने का निर्णय लिया गया था।
पहले था किसी एक कंपनी को निर्माण का जिम्मा देने पर निर्णय किया गया था। अब एक बजाय तीन कंपनियां भी मिलकर हैलीपोर्ट का निर्माण कर सकती है। कंपनियों का टर्न ओवर कम से कम 15 करोड़ रुपए सालाना होना चाहिए था। हैलीकॉप्टर के मरम्मत का भी काम यहां पर होगा। साथ ही सभी प्रकार के हैलीकॉप्टर उड़ान भरने व उतरने की व्यवस्था होगी। सीईओ ने बताया कि बैठक में संशोधन के बाद प्रस्ताव शासन से मंजूर कराने के लिए भेजा जाएगा। शासन से मंजूर होने के कारण निर्माण को लेकर निविदा निकाला जाएगा। तीन माह के अंदर इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।


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