Top
Begin typing your search above and press return to search.

90 करोड़ रूपये का घोटाला : भूमाफियाओं से सांठगांठ करके खरीदी गई जमीन

ग्रेटर नोएडा ! सात हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज में डूबे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जमीन खरीद को लेकर घोटाले सामने आने लगा हैं।

90 करोड़ रूपये का घोटाला  :  भूमाफियाओं से सांठगांठ करके खरीदी गई जमीन
X

ग्रेटर नोएडा ! सात हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज में डूबे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जमीन खरीद को लेकर घोटाले सामने आने लगा हैं। प्राधिकरण आधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ सांठगांठ करके मास्टर प्लान से बाहर डूब क्षेत्र में 90 करोड़ रूपये की जमीन खरीद ली। यह जमीन प्राधिकरण के किसी उपयोग की नहीं है। जमीन खरीदने के दो साल बाद भी प्राधिकरण आज तक इस जमीन पर कोई योजना नहीं ला सका। प्राधिकरण द्वारा खरीदी गई जमीन पर अवैध रूप से कालोनियां बनकर तैयार हो रही है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिसरख गांव के समीप हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दो साल पूर्व 90 करोड़ रुपये की जमीन खरीद ली। बताया जाता है कि खरीद गई जमीन हिंडन की धारा में भी आता है। जमीन की खरीद फरोख्त के पीछे भूमाफियाओं व प्राधिकरण अधिकारियों की सांठगांठ बताई जा रही है। भूमाफियाओं ने प्राधिकरण अधिकारियों के इशारे पर डूब क्षेत्र की जमीन पहले किसानों से खरीदी। इसके बाद भूमाफियाओं ने डूब क्षेत्र की जमीन को सीधे प्राधिकरण के जमीन रजिस्ट्री कर दी। जमीन खरीद के दौरान प्राधिकरण अधिकारियों से डूब क्षेत्र की जमीन कृषि आधारित योजनाओं के लिए बताया गया। 90 करोड़ रुपये की जमीन खरीदने के बाद प्राधिकरण आज तक इस जमीन पर कोई योजना नहीं ला सका। जिस समय प्राधिकरण ने जमीन खरीदी उस समय आसपास कालोनियां बनकर तैयार हो गई थी। जमीन खरीदने के दौरान प्राधिकरण अधिकारियों ने यह देखने का जहमत नहीं उठाया कि मौके की स्थिति क्या है। डूब क्षेत्र की खरीदी गई जमीन प्राधिकरण के मास्टर प्लान से भी बाहर है। अब प्राधिकरण अगर इस जमीन पर कब्जा लेने का प्रयास करे तो उसके लिए संभव नहीं होगा। प्राधिकरण के जमीन बेचने वाले भूमाफियाओं ने उस पर कालोनियां काट कर नौकरीपेशा लोगों को बेच दिया है। डूब क्षेत्र में जमीन होने के कारण यह पर कोई पक्का निर्माण कार्य भी नहीं हो सकता है। प्राधिकरण ने यह जमीन कृषि आधारित योजनाओं के लिए खरीदी थी। सूत्रों का कहना है कि डूब क्षेत्र में जमीन खरीदने के पीछे प्राधिकरण अधिकारियों का मंशा कोई योजना लाने की नहीं थी बल्कि कमीशन लेकर भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाना था। जानकारों का कहना है कि विकास योजनाओं के लिए किसानों से सीधे जमीन खरीदी जा सकती है। पिछले दस साल में प्राधिकरण ने ऐसे कई एकड़ खरीदी है जिसका अभी तक कोई उपयोग नहीं हो पाया है। अगर इसकी जांच कराई जाए तो जमीन खरीद फरोख्त में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। जिसमें कई आधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it