डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है, जिसका इलाज जरूरी
ग्रेटर नोएडा ! डिप्रेशन (अवसाद) एक बीमारी है, कई लोग इसे मन का वहम समझते हैं, लेकिन असलियत यह है कि यह एक मानसिक रोग है।

ग्रेटर नोएडा ! डिप्रेशन (अवसाद) एक बीमारी है, कई लोग इसे मन का वहम समझते हैं, लेकिन असलियत यह है कि यह एक मानसिक रोग है। जब किसी व्यक्ति की सामान्य जीवनशैली में बदलाव होने लगे, परेशानियां खड़ी होने लगे और उसका कारण व्यक्ति की मानसिक दुर्बलता हो तो इस स्थिति को डिप्रेशन कहते हैं। यह महत्वपूर्ण बातें जेपी हॉस्पिटल के बेहवियरल साइंस विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मृण्मय कुमार दास ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर लोगों को दी।
डॉ. दास ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर परेशान रहने लगे, किसी की बात पर उसको सहज विश्वास ना हो, किसी से मिलने का मन न करें, रातों में नींद न आए, सोते-सोते अचानक जाग जाए, बहुत ज्यादा थकान महसूस करे, थोड़ा काम करने पर ही थक जाए, काम पर ध्यान न दे पाए, तो ऐसी स्थिति को अवसाद या डिप्रेशन कहते हैं। डॉ. मृण्मय दास ने बताया कि डिप्रेशन व्यक्ति की शारीरिक शक्ति, जीवनशैली, सोचने-समझने की शक्ति को काफी प्रभावित करता है। इसके कारण निजी और व्यवसायिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं। इस बीमारी के होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव ग्रस्त जीवन, पढ़ाई का बोझ, नजदीकी या पारिवारिक रिश्तों का टूटना, संबंधों में टकराव आदि। इसके साथ ही व्यक्ति की कमजोर शारीरिक एवं साइकोलॉजिकल स्थिति के कारण भी यह बीमारी होती है। उन्होंने बताया कि अवसाद मुख्यत: दो कारणों से होता है। पहला एंडोजीनस, जो आंतरिक कारणों से होता है और दूसरा न्यूरोटिक, जो बाहरी कारणों से होता है। इनके अलावा डिसथीमिया, मौसम प्रभावित डिप्रेशन, मनोविक्षप्ति (साइकोटिक), छिपा (मास्कड) व प्रसन्नमुख (स्माइलिंग) डिप्रेशन भी होते हैं। किसी को भी ऐसे लक्षण महसूस हों उसे तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग एक मिलियन लोग डिप्रेशन के शिकार हैं, जो यह बताता है कि इससे कितनी जिंदगियां प्रभावित हैं। यह मानव जीवन को किसी भी प्रकार से प्रभावित कर सकता है, लेकिन जिस तरह अन्य बीमारियों का इलाज होता है वैसे ही समय पर डिप्रेशन की पहचान करने और मनोचिकित्सक से मिलकर इलाज कराने से व्यक्ति इस रोग से छुटकारा पा सकता है।


