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शासन ने कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा किया तलब

ग्रेटर नोएडा ! प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मुख्यमंत्री की कमान संभालने के साथ अपने सभी मंत्रियों व अधिकारियों के संपत्ति का ब्यौरा मांगा था।

शासन ने कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा किया तलब
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ग्रेटर नोएडा ! प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मुख्यमंत्री की कमान संभालने के साथ अपने सभी मंत्रियों व अधिकारियों के संपत्ति का ब्यौरा मांगा था। अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के कर्मचारियों के संपत्ति का भी ब्यौरा मांग लिया गया है। सभी कर्मचारियों को एक सप्ताह के अंदर अपनी संपत्ति का ब्यौरा शासन को देना होगा। अगर किसी ने कर्मचारी ने अपनी बैनामी संपत्ति को छिपाने का भी प्रयास किया तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जा सकती है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात कर्मचारियों ने पिछले कुछ सालों में अवैध कमाई से करोड़ व अरबपति बन गई। कुछ ने अपनी काली कमाई से अपने रिश्तेदार व परिवारजनों के नाम बैनामी संपत्ति भी खरीद रखी है। ग्रेटर नोएडा में देखा जाए तो स्थायी तौर बहुत ही कम कर्मचारी तैनात है। ज्यादातर कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से काम करते है। प्लेसमेंट के कर्मचारी पिछले कई सालों से काम कर रहे है। कुछ तो ऐसे भी प्लेसमेंट पर तैनात कर्मचारी है जिनकी प्रति माह सात से आठ हजार रुपए प्रति माह है, उनकी प्रति माह आय लाखों में गिनी जाती है। प्लेसमेंट कर्मचारी लग्जरी गाडिय़ों में सवार होकर प्राधिकरण कार्यालय आते है। अब आप इसका सहज अंदाजा लगा सकते है कि जब प्लेंसमेंट कर्मचारी करोड़ों रुपए के संपत्ति के मालिक बन सकते है तो स्थायी तौर पर तैनात कर्मचारियों के पास कितनी बैनामी संपत्ति है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद इन कर्मचारियों की मुसीबत बढ़ गई है। ज्यादातर कर्मचारियों ने रिश्तेदारों व परिवार जनों के खिलाफ नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे में बैनामी संपत्ति खरीद रखी है। प्राधिकरण में तैनात रहे दो महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी ने ग्रेटर नोएडा में तैनाती के दौरान कई सौ करोड़ रुपए की कमाई की है। अब ये दोनों महाप्रबंधक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बाय बाय कर चुके है। इसके बाद भी ग्रेटर नोएडा में उनके व परिवार जनों के नाम स्कूल, कॉलेज, माल, समेत कई करोड़ों की संपत्ति है। एक महाप्रबंधक का ग्रेटर नोएडा में पांच बिल्डर ग्रुप हाउसिंग के भूखंड है। आज भी ये अधिकारी अपनी संपत्ति को बचाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के आधिकारियों के संपर्क में बने रहते है। प्राधिकरण में चतुर्थ श्रेणी पर तैनात कर्मचारियों के पास लाखों की संपत्ति है। शासन ने अब इन कर्मचारियों के संपत्ति का ब्यौरा मांग लिया है। साथ ही शासन ने उनसे यह भी कहा कि उन पर आश्रित माता पिता समेत परिवार के अन्य सदस्यों के संपत्ति का ब्यौरा देना होगा। शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी ने गलत संपत्ति का ब्यौरा दिया और उनके रिपोर्ट के आधार पर जांच करने पर जानकारी गलत पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।


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