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यमुना में जेपी, गौर समेत 17 बिल्डरों की योजनाएं रद्द

ग्रेटर नोएडा ! बसपा व सपा सरकार में मनमानी करने वाले बिल्डरों पर गाज गिरना शुरू हो गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने बड़े स्तर पर बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए

यमुना में जेपी, गौर समेत 17 बिल्डरों की योजनाएं रद्द
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ग्रेटर नोएडा ! बसपा व सपा सरकार में मनमानी करने वाले बिल्डरों पर गाज गिरना शुरू हो गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने बड़े स्तर पर बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जेपी, गौर, अजनारा समेत 17 बिल्डर प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को रद्द कर दिया है। इन बिल्डरों के मौके पर हुआ निर्माण कार्य अब अवैध माना जाएगा। साथ ही बिल्डिंग प्लान का नक्षा प्राधिकरण से मंजूर होने के बाद निर्माण कार्य कर सकते हैं। इसके लिए बिल्डरों को अब नए सिरें से बिल्डिंग प्लान का नक्शा मंजूर करने के लिए आवेदन करना होगा। कुछ बिल्डरों ने बिना निर्माण कार्य के फ्लैट बुक कर रखा था।
जेपी इंफ्राटेक को यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने के बदले प्रदेश सरकार से हुए समझौते के तहत पांच सौ हेक्टेयर जमीन एक्सप्रेस-वे के किनारे दिया गया था। यह जमीन एलएफडी यानि लैंड फॉर डवलपमेंट के नाम से दिया गया था। जेपी ग्रुप ने यहां पर अलग-अलग हिस्सों में गौर एंड संस प्रालि समेत कई बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग के तहत जमीन बेच दिया था। साथ ही जेपी ग्रुप यहां पर फ्लैट का निर्माण कर रहा था। जिसमें गौर एंड संस को सेक्टर-19 में दो अलग-अलग प्रोजेक्ट बिल्डर ग्रुप हाउसिंग के तहत लिया था। गौर ने बिल्डिंग योजना का नक्शा मंजूर करने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में 2015 व 2016 में आवेदन किया था। प्राधिकरण ने बिल्डिंग प्लान पर आपत्ति लगा दी थी। इसके लिए गौर की तरफ से आपत्ति का कोई जवाब नहीं दिया गया। ग्रुप हाउसिंग के तहत वीजीए डवलपर्स प्रालि को सेक्टर-25, अजनारा बिल्डर को सेक्टर-22 ए, ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर को सेक्टर-22 डी, उरबानिया प्रालि को सेक्टर-25 में भूखंड दिया गया था। जेपी ग्रुप ने करीब 11 प्रोजेक्ट के लिए बिल्डिंग प्लान का नक्शा मंजूर कराने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में 2014 में आवेदन किया था। इसमें जेपी के तीन कामर्शियल प्रोजेक्ट भी थे। नक्शा मंजूर कराने का आवेदन करने के बाद प्राधिकरण ने इस पर आपत्ति लगाई, लेकिन इन बिल्डरों को प्राधिकरण की आपत्ति का कोई जवाब नहीं दिया। उनका बिल्डिंग प्लान नियोजन विभाग में लटका रहा। जबकि नियमत आवेदन करने के छह माह में अगर बिल्डिंग प्लान का नक्शा मंजूर नहीं होता तो स्वत रद्द माना जाता है। बिल्डरों ने सत्ता तक अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर बिल्डिंग प्लान का नक्षा मंजूर न होने का परवाह नहीं किया। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरूणवीर सिंह ने इन बिल्डरों के फाइल को जब तलब किया और बिल्डिंग प्लान का नक्शा मंजूर न होने पर आवेदन रद्द कर दिया। सीईओ ने बताया कि बिल्डर अगर अपने प्रोजेक्ट पर कोई निर्माण कार्य करते है तो वह अवैध माना जाएगा साथ ही मौके पर हुआ निर्माण कार्य भी अवैध है। बिल्डिंग प्लान का नक्षा मंजूर कराने के लिए बिल्डरों को नए सिरे से आवेदन करना होगा।


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