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गौरवशाली मराठा इतिहास से रूबरू कराती पानीपत गौरव यात्रा का ग्वालियर में हुआ भव्य स्वागत

यह यात्रा वीरांगना लक्ष्मीबाई को नमन करने के बाद जैसे ही आगे बड़ी, शहर के विभिन्न वर्गों के लोगों ने यात्रा का जोरदार स्वागत किया। हर जगह स्वागतकर्ता जय शिवाजी व जय श्रीराम उद्घोष करते नजर आए। यात्रा के सयोंजक संदीप महिंद्र ने मीडिया को बताया कि ग्वालियर में मिले प्रेम और सहयोग को वे सदैव याद रखेंगे

गौरवशाली मराठा इतिहास से रूबरू कराती पानीपत गौरव यात्रा का ग्वालियर में हुआ भव्य स्वागत
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गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: पुणे से पानीपत जा रही पानीपत गौरवगाथा यात्रा गुरुवार को ग्वालियर पहुंची। यहां इस यात्रा का एनसीसी कैडेट्स, स्कूल कॉलेज छात्रों, क्षत्रिय महासभा, कुर्मी समाज, मराठा समाज, तिब्बतियों सहित शहर के अन्य कई समाज के लोगों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर ज़ोरदार स्वागत किया। 83 लोगों की यह यात्रा 6 जनवरी को पुणे से शुरू होकर 12 जनवरी को ग्वालियर से गुजरी। 1300 किलो मीटर की दूरी तय कर 14 जनवरी को यात्रा पानीपत पहुंचेगी।
83 सदस्यीय यह दल हाथ में तिरंगा और भगवा झंडा लेकर जैसे ही वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचा तो पूरा परिसर भारत माता की जय के गगनभेदी नारों से गुंजायमान हो गया।
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सबसे पहले इस यात्रा के संयोजक संदीप महिंद्र ने अपने साथियों और गंगादास की बड़ी शाला के महंत रामसेवक दास महाराज के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। इसके बाद संदीप जी ने पानीपत युद्ध में मराठाओं के शौर्य की गाथा सुनाई। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य 1761 में मराठा और अब्दाली के बीच हुए पानीपत युद्ध के वीरों की गौरव गाथा को लोगों तक पहुंचाना है।
उन्होंने बताया कि इस दल में 6 बहनों और 2 बालकों सहित 83 लोग दो पहिया वाहनों से प्रतिदिन 300 से 350 किमी की यात्रा कर लोगों को देश के गौरवशाली इतिहास के इस प्रसंग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पानीपत के तीसरे युद्ध का बड़ा महत्व है। इस युद्ध को 261 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास इस युद्ध में मराठाओं की हार बताता है, लेकिन यह सवा लाख मराठाओं के शौर्य की गाथा थी, जिन्होंने इस युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया। इसके बाद किसी आक्रांता ने उत्तर पश्चिम दिशा में आने की हिम्मत नहीं दिखाई।
उन्होंने कहा कि अहमद शाह अब्दाली की सेना को विजय जरूर मिली थी किन्तु मराठों के पराक्रम के कारण वह दिल्ली का बादशाह नहीं बन सका। यात्रा के संयोजक ने कहा कि पानीपत युद्ध में देश के अन्य शक्तिओं ने एकजुट होकर साथ नहीं दिया। दुर्भाग्य से आज भी हम एक नहीं हैं। आज भी हम जातियों, प्रांंतों और भाषा को लेकर बंटे हुए हैं। अगर हम अपने अंदर छिपे अलगाव को समाप्त नहीं करेंगे तो आगे भी पानीपत युद्ध जैसी परिस्थिति निर्मित होती रहेगी।

ग्वालियर ने किया ऐसा स्वागत के दंग रह गए यात्री

यह यात्रा वीरांगना लक्ष्मीबाई को नमन करने के बाद जैसे ही आगे बड़ी, शहर के विभिन्न वर्गों के लोगों ने यात्रा का जोरदार स्वागत किया। हर जगह स्वागतकर्ता जय शिवाजी व जय श्रीराम उद्घोष करते नजर आए। चौहान क्रेन पर क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष सुरेंद्र तोमर सहित, राजू चौहान सहित सैंकड़ो लोगों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। हजीरा चौक पर हजीरा व्यापारी संघ ने और कुर्मी समाज की ओर से हरिशंकर पटेल, हीरालाल पटेल सहित कुर्मी समाज ने यात्रा का स्वागत किया।
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चार शहर के नाका पर भी पंडाल लगाकर यात्रा को भव्य स्वागत किया गया। जलालपुर चौराहे पर पूरन यादव ने कई युवाओं के साथ गुलाब के फूलों की वर्षा कर तो अटल गेट पुरानी छावनी पर अबोध सिंह तोमर ने अपने साथियों के साथ यात्रा का जोरदार स्वागत किया। शहर के युवा अपने दुपहिया वाहनों से यात्रा के साथ रहे और रायरू पर यात्रा को विदा किया।
यात्रा के सयोंजक संदीप महिंद्र ने मीडिया को बताया कि ग्वालियर में मिले प्रेम और सहयोग को वे सदैव याद रखेंगे। युवा यात्री संकेत गायकवाड़ ने कहा कि जिस तरह से उनका ग्वालियर शहर में जगह जगह स्वागत हुआ उन्हें तो यह लगा कि वे अपने ही लोगों के बीच हैं। ग्वालियर भी पानीपत के वीर योद्धाओं की भूमि है, महादजी शिंदे सहित कई मराठा शूरवीरों ने पानीपत के युद्ध मे अब्दाली की सेना से लोहा लिया,जिनके परिवार अब ग्वालियर में बसते हैं।


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