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वन भूमि पट्टा के लिए 10 माह बाद भी ग्राम सभा नहीं

वनभूमि पर काबिजों को वनभूमि पट्टा देने, मनरेगा मजदूरों का बकाया मजदूरी का भुगतान करने गांवों मेंं सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने की मांग पर तानसेन चौक में किसानों ने धरना दिया

वन भूमि पट्टा के लिए 10 माह बाद भी ग्राम सभा नहीं
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पट्टा, मनरेगा मजदूरी के लिए किसान सभा ने किया प्रदर्शन
कोरबा। वनभूमि पर काबिजों को वनभूमि पट्टा देने, मनरेगा मजदूरों का बकाया मजदूरी का भुगतान करने गांवों मेंं सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने की मांग पर तानसेन चौक में किसानों ने धरना दिया। धरना के पश्चात कलेस्टर कार्यालय तक रैली निकालकर जिलाधीश के नाम तहसीलदार को मांग पत्र सौंपा गया।

किसान सभा अध्यक्ष सोन कंवर ने बताया कि विगत फरवरी माह में किसानों ने वनभूमि पट्टा के लिये कलेक्ट्रेट में आवेदन जमा किया था लेकिन दस माह बाद भी किसी भी संबंधित ग्राम पंचायतों में पट्टा हेतु ग्राम सभा का आयोजन ना करना प्रशासन की उदासीनता को ही दर्शाता है। धरना को संबोधित करते हुये किसान सभा के राज्य समिति सदस्य सुखरंजन नंदी ने कहा कि सरकार जहां पूरे प्रदेश में बोनस त्यौहार मना रही है वहीं गरीब किसानों को आज अपने पट्टा की लड़ाई लड़ना पड़ रहा है। पट्टा न होने के कारण किसानों का अनाज ना तो सोसायटी में खरीदा जायेगा और ना ही इन किसानों को बोनस मिलेगा।

प्राकृतिक आपदा से फ सल नुकसान का मुआवजा के भी यह किसान हकदार नहीं हैं। वनाधिकार कानून के तहत आवेदन जमा करने के तीन माह के भीतर ग्राम सभा आयोजित कर पट्टा के बारे में निर्णय लेना है लेकिन दस माह बाद भी लचर व्यवस्था के कारण हितग्राही परेशान हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरों के दो साल के बकाया मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। किसान नेता ने कहा कि जिला मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर बेला टापरा गांव के धनुहार जनजाति के लोग आज भी झिर्री से पानी पीने को मजबूर हैं। पहुंच मार्ग व बिजली की सुविधा से वे लोग वंचित हैं। धरना सभा को सोन कवंर,शत्रुघन महंत,जितेन्द्र कुमार, वृन्दावती,मंगल सिंह, एसएन बनर्जी, सुखेन्दु घोष आदि ने भी संबोधित किया।


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